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मानव तस्करों पर सैनिक कार्रवाई करेगा ईयू

१९ मई २०१५

यूरोपीय संघ के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने भूमध्य सागर में शरणार्थियों की मानव तस्करी के नेटवर्क को नष्ट करने के लिए एक नौसैनिक मिशन बनाने का निर्णय लिया है. इस मिशन को अब यूएन सुरक्षा परिषद के समर्थन की दरकार है.

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तस्वीर: Reuters/I. Zitouny

भूमध्य सागर में मानव तस्करों पर अब ईयू सैनिक कार्यवाही करने की सोच रहा है. समुद्र में खोती हजारों जानों को बचाने के लिए यूरोपीय संघ के देशों ने एक नौसैनिक मिशन स्थापित करने का फैसला किया है. इस बारे में मंत्रियों ने एक बयान जारी कर बताया कि इस मिशन का कोड नाम होगा यूनावफोरमेड, जिसका लक्ष्य होगा "भूमध्य सागर में मानव तस्करों और अपहरणकर्ताओं का बिजनेस मॉडल तबाह करना." मिशन का मुख्यालय रोम में बनाया जाएगा, जिसका नियंत्रण रियर एडमिरल एनरिको क्रिडेनडिनो के हाथ में होगा. इसे स्थापित करने में लगने वाले 2 महीने और फिर पहले 12 महीनों तक इसे चलाने के पूरे ऑपरेशन का खर्च 1.18 करोड़ यूरो होने का अनुमान है.

इटली की रक्षा मंत्री रॉबर्टा पिनोटी ने इस मिशन का स्वागत करते हुए कहा कि इस ऑपरेशन में हम इस बात को मान कर चल रहे हैं कि "भूमध्य सागर केवल इटली ही नहीं पूरे यूरोप की सरहद है." कई चरणों में लागू किए जाने वाले इस मिशन की शुरुआत तस्करों की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारियां इकट्ठी करना होगा. इसके बाद उन्हें रोकने और शरणार्थियों की तस्करी के प्रयास विफल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेयर लाएन ने चेताया है कि "ऐसे कई खुले प्रश्न हैं, कई कानूनी प्रश्न हैं, कई व्यावहारिक और तकनीकी प्रश्न हैं, जिनका उत्तर पहले ढूंढना होगा."

Symbolbild Flüchtlingsboot vor Lampedusa
तस्वीर: picture alliance/JOKER

ईयू की विदेश नीति प्रमुख फेडेरिका मोगेरिनी ने उम्मीद जताई है कि 22 जून को मिलकर ब्लॉक में शामिल वरिष्ठ उच्चायुक्त इस नेवल मिशन को लॉन्च कर पाएंगे. हालांकि अब यह लॉन्च इस बात पर निर्भर करता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तब तक इस पर समर्थन मिल पाता है या नहीं. मोगेरिनी ने कहा, "साफ है कि इसे लेकर काफी जल्दी है," उन्होंने आगे बताया, "जून गर्मी की शुरुआत का महीना है...और गर्मियां आते ही और ज्यादा लोग सफर करने लगते हैं."

ईयू यह भी चाहता है कि इस मिशन को लीबिया का समर्थन प्राप्त हो. इस उत्तर अफ्रीकी देश में सत्ता के लिए दो पक्षों के बीच राजनैतिक और हिंसक संघर्ष चल रहा है. इसी कारण कई लोग यहां से पलायन कर किसी दूसरे देश में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं, और तस्करों के हाथ पड़ जा रहे हैं. लीबिया की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के प्रवक्ता ने बताया, "सरकार ऐसे किसी भी निर्णय को नहीं मानती और लीबिया की सीमाओं या उसकी स्वायत्तता के किसी भी तरह के उल्लंघन को अस्वीकार करती है."

इस बीच ईयू के सम्मेलन में शामिल होने वाले नाटो महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि सैनिक सहबंध "अनुरोध पर मदद के लिए तैयार रहेगा." सैनिक हस्तक्षेप को लेकर कुछ आशंकाएं बनी हुई हैं. नाटो ने 2011 लीबिया में विवादित बमबारी अभियान चलाया था जिसमें वहां लंबे समय से शासन कर रहे मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटा दिया गया था.

आरआर/एमजे (डीपीए)