महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले
बलात्कार और हत्या जैसे मामले हर बार इन मुद्दों पर नई बहस खड़ी करते हैं. इस मामले में आंकड़े भी कहते हैं कि स्थिति बहुत ही भयानक है. पढ़िए कि हाल के सालों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कितने मामले दर्ज किये गये हैं.
सामाजिक दबाव
2015 में भारत में महिलाओं से बलात्कार के 34651 मामले सामने आए थे. लेकिन ऐसे मामलों की संख्या भी कम नहीं जिनमें समाजिक दबाव के चलते बलात्कार के मामले पुलिस में दर्ज नहीं कराये जाते.
बलात्कार के प्रयास
इसी तरह 2015 में बलात्कार के प्रयास के 4434 मामले दर्ज किये गये थे. 2014 में इस तरह के 4232 मामले सामने आये थे. 2014 की तुलना में इन आंकड़ों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी.
अपहरण
अपहरण के मामलों में 2014 की तुलना में 2015 में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2015 में महिलाओं के अपहरण के 59277 मामले दर्ज किये गये. वहीं 2014 में यह आंकड़ा 57311 मामलों का था.
दहेज
दहेज के चलते हुई मौतों का आंकड़ा 2015 में 7,634 था. 2014 में दहेज के चलते मौतों के 8455 मामले दर्ज हुए थे. इस कमी के बावजूद हर साल महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के कुल आंकड़े बढ़ ही रहे हैं.
छेड़खानी
छेड़खानी के मामलों का आंकड़ा काफी बड़ा है. साल 2015 में महिलाओं से छेड़खानी के 82,422 मामले दर्ज हुए. इसमें तेज वृद्धि हुई है. यह आंकड़ा 2011 में 42,968 मामलों का था.
घरेलू हिंसा
सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए. इस मामले में 2015 में 1,13,403 मामले दर्ज किये गये. यही आंकड़ा 2011 में 99,135 का रहा. रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हिंसा के मामले हर साल बढ़ रहे हैं.
हिंसा के मामले
गृह मंत्रालय की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल 3,27,394 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि 2011 में इनकी तादाद 2,28,650 थी.
वैवाहिक बलात्कार
महिला संगठन वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाना चाहती हैं, जबकि भारत सरकार का कहना है कि ऐसा करने से महिलाओं को पतियों को तंग करने का हथियार मिल जायेगा.