मशीनी दिल ने दी किशोर को नई जिंदगी
४ अक्टूबर २०१०रोम के बांबिनो गेसू चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञों की 10 घंटे की अथक मेहनत वाला ऑपरेशन सफल रहा. अस्पताल ने कहा है कि वह मरीज की स्थिति पर पैनी नजर रखे है.
अस्पताल से जारी बयान में कहा गया, "पहली बार किशोर मरीज की छाती में यह स्थायी कृत्रिम हृदय बिठा दिया गया है. अब तक इस तरह का ऑपरेशन सिर्फ वयस्क मरीजों का होता था."
कृत्रिम हृदय का आमतौर पर इस्तेमाल तब किया जाता है जब मरीज हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के लिए इंतजार कर रहे हों. लेकिन इस किशोर को डचेन्स सिन्ड्रोम नाम की बीमारी थी जिसके कारण हार्ट ट्रांसप्लांटेशन नहीं किया जा सकता था.
शरीर में डाला गया यह कृत्रिम दिल चार सेंटीमीटर चौड़ा है और इसका वजन 400 ग्राम है. किसी तरह का संक्रमण न हो इसके लिए खास एहतियात बरती गई है. इस ऑपरेशन के साथ ही उन मरीजों के लिए नया रास्ता खुल गया है जो मेडिकल कारणों से दूसरे का दिल नहीं ले सकते.
डॉक्टरों का कहना था कि 15 साल का यह मरीज बीमारी के कारण दूसरा दिल नहीं ले सकता था और मौत के नजदीक था. दिल की इस मशीन के कारण अब वह कम से कम 25 साल और आराम से जी सकता है.
यह कृत्रिम दिल एक इलेक्ट्रिकल हाइड्रॉलिक पंप है जिसे थोरेक्स में लगाया गया है. इससे इन्फेक्शन का खतरा एकदम कम हो जाता है. बांए कान के पीछे इस पंप का प्लग है और बेल्ट पर इसकी बैटरी है जिसे मोबाइल की तरह से चार्ज किया जा सकता है.
उम्मीद है कि अगले 25 साल में तकनीक और बेहतर होगी और इस किशोर को एक बार फिर जीवनदान मिल सकेगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः वी कुमार