मरने के बाद भी उल्टा लटकता है चमगादड़
२७ सितम्बर २०१९चमगादड़ आखिरकार नीचे की तरफ उल्टा लटक कर क्यों सोते हैं? अपने पूरे जीवन में ज्यादातर वक्त चमगादड़ सिर नीचे कर ही लटके रहते हैं. शीतनिंद्रा के वक्त भी महीनों तक वे ऐसे ही सोते हैं. कोई वैज्ञानिक ये नहीं जानता कि चमगादड़ क्रमिक विकास के दौरान ऐसे उल्टा लटकना कैसे सीखे. हालांकि इतना पता चल चुका है कि उल्टा लटकने के कई फायदे होते हैं.
नीचे की तरफ उल्टा लटकने के चलते उन्हें जगह के लिए बाकी जीवों से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती है. बिल्ली, बाज या उल्लू जैसे शिकारियों से बचने की संभावना भी ज्यादा रहती है. खतरा महसूस होते ही, वे बहुत ही जल्दी उड़ सकते हैं. इसके लिए उन्हें बस खुद को गिराना है और फिर पंख फड़फड़ाने हैं.
सिर अगर हमेशा नीचे लटका रहे तो क्या ये सेहत के लिए घातक नहीं है? बाकी जीवों के लिए ये एक समस्या है लेकिन चमगादड़ों के लिए नहीं. उनका रक्त बिना किसी परेशानी के सिर से हृदय और पूरे शरीर तक पंप होता रहता है. चमगादड़ों के पैरों में खास तरह के पंजे होते हैं. लटकते शरीर का वजन इन पंजों को ऑटोमैटिक तरीके से जकड़ देता है.
इसीलिए लटके रहने के दौरान चमगादड़ों को ऊर्जा की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती. यहां तक की मौत के बाद भी वे इसी तरह लटके रहते हैं. लेकिन उनके पंजेदार पैर चलने और दौड़ने के बिल्कुल उपयुक्त नहीं हैं.
स्लॉथ नाम का जीव भी नीचे की तरफ लटक कर ही सोता है, लेकिन इस दौरान उसका सिर ऊपर की तरफ सीने से चिपका रहता है. इंसानों की बात करें तो, हम सिर नीचे कर सो ही नहीं सकते हैं, भले ही किसी भी चीज की मदद ही क्यों न ली जाए.
साफ है कि अब तक चमगादड़ ही ऐसे एक मात्र जीव हैं जो सिर नीचे लटका कर सोते हैं और उनकी यही खूबी विज्ञान को आकर्षित करती है.
रिपोर्ट: आंद्रेयास नॉएहाउस/ओएसजे
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(मुश्किल हालात में जीने वाले जीव)