भारत से भी लौटाये जाएंगे रोहिंग्या
१४ अगस्त २०१७भारत सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया है कि राज्य सरकारों को रोंहिग्या की पहचान के लिए टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया गया है. 1990 के दशक की शुरुआत से ही हजारों, लाखों रोहिंग्या मुसलमान बौद्ध-बहुल देश म्यांमार में जारी साम्प्रदायिक हिंसा बचने के लिए बांग्लादेश भागने लगे थे. इनमें से कई लोग बांग्लादेश के साथ खुली सीमा पार कर हिंदू-बहुल देश भारत पहुंच गये.
भारत सरकार का अनुमान है कि इस समय देश में रह रहे करीब 14,000 रोहिंग्या ही यूएन शरणार्थी एजेंसी के साथ पंजीकृत हैं और बाकी सभी अवैध रूप से रह रहे हैं, जिन्हें वापस भेजा जाना चाहिये. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं और ना ही उस पर देश में ही कोई राष्ट्रीय कानून है.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता केएस धतवालिया ने कहा, "बांग्लादेश और म्यांमार दोनों के साथ इन विषयों पर डिप्लोमौटिक स्तर की वार्ता चल रही है." उन्होंने उम्मीद जतायी कि "सही समय पर इस पर और स्पष्टता आ जाएगी."
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने संसद में दिये अपने बयान में जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को "जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित कर अवैध रूप से रह रहे विदेश नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने" के निर्देश दिये हैं. हाल ही में म्यांमार में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौटे रिजिजू ने यह नहीं बताया है कि उन्होंने वहां रोहिंग्या मुद्दे पर बात की या नहीं. इस बारे में म्यांमार से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि रोहिंग्या लोगों को वापस भेजना और त्यागना "अनर्थक" कदम होगा. सवा अरब से अधिक आबादी वाले भारत में संसाधनों और नौकरियों की कमी से जूझ रहे भारतीय देश में रह रहे रोंहिग्या को बोझ ही मानते हैं. इसके अलावा देश में बढ़ रही राष्ट्रवादी, इस्लाम-विरोधी भावनाओं के कारण भी रोंहिग्या को लेकर घृणा में बढ़ोत्तरी हुई है. भारत में रोहिंग्या लोग मुख्य रूप से जम्मू, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हैदराबाद इलाकों में रहते हैं.
आरपी/ओएसजे (रॉयटर्स)