भारत में लॉरेयस पुरस्कारों की छाप
खेलों के ऑस्कर कहे जाने वाले लॉरेयस पुरस्कार का भारत से भी खास नाता है. हर साल लॉरेयस अकादमी भारत के तंगहाल इलाकों में पहुंच कर बच्चों को नए सपने देती है. एक नजर सपनों के इस सफर पर.
बच्चों के साथ राहुल
लॉरेयस रियल हीरोज प्रोजेक्ट के तहत मार्च 2016 में भारत के कई इलाकों में मैजिक बस घूमी. इस बस में कई बड़े खिलाड़ियों ने यात्रा की और जगह जगह जाकर बच्चों को खेलों के लिए प्रेरित किया. इस दौरान कभी बल्लेबाजी की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ ने बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाए.
कमजोर बच्चों को बढ़ावा
मुंबई में लॉरेयस स्पोर्ट्स फॉर गुड के एम्बेसडर और पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह ने कमजोर तबके के बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने की मुहिम की अगुवाई की.
लोकल हीरो
मुंबई की आधी से ज्यादा आबादी झुग्गियों में रहती है. नितिन बावसकर भी झुग्गी की जिंदगी से गुजरते हुए खेलों में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं. लॉरेयस रियल हीरोज प्रोजेक्ट के दौरान वह अपने जैसे परिवेश में रहने वाले कई बच्चों का भरोसा बने.
बच्चों के साथ नीको रोसबर्ग
27 अक्टूबर 2013 को भारत में आखिरी बार फॉर्मूला वन रेस हुई थी. यह तस्वीर उस रेस से तीन दिन पहले की है. तब मर्सिडीज टीम के तत्कालीन स्टार ड्राइवर नीको रोसबर्ग ने ग्रां प्री से पहले टाइम निकाला और मैजिक बस प्रोजेक्ट के तहत कुछ वक्त बच्चों के साथ बिताया. इस मुलाकात के 72 घंटे बाद रोसबर्ग इंडियन ग्रां प्री में दूसरे नंबर पर रहे.
बड़े खेल सितारे सक्रिय
क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में शुमार ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर स्टीव वॉ भी भारत में खेलों को बढ़ावा देने में काफी सक्रिय रहे हैं. स्टीव लंबे समय से लॉरेयस पुरस्कारों से जुड़े हैं.
सितारों से मिलने की खुशी
शारीरिक अक्षमता से जूझने वाली जोधपुर की इन बच्चियों को जब पता चला कि उनसे मिलने कपिल देव और टैनी ग्रे थॉम्पसन आ रहे हैं तो उनके चेहरे की खुशी देखने लायक थी.
बाधा नहीं अक्षमता
टैनी ग्रे थॉम्पसन ने बच्चियों के साथ काफी वक्त बिताया. शारीरिक रूप से अक्षम टैनी व्हीलचेयर रेसर रह चुकी हैं. राजनीति में आने से पहले वेल्स की थॉम्पसन ने 11 गोल्ड मेडल जीते और 30 रिकॉर्ड अपने नाम किए. अब वह दुनिया भर के ऐसे बच्चों को प्रेरित करती हैं.
व्यापक खेल को समर्थन
शारीरिक या मानसिक कमजोरी के बावजूद इंसान क्या कुछ कर सकता है, जोधपुर में लॉरेयस प्रोजेक्ट के दौरान ली गई यह तस्वीर इसकी गवाही देती है. पुरस्कार अकादमी की वित्तीय मदद से ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
पिछड़े इलाकों में खेलों को समर्थन
1983 में भारत को पहली बार क्रिकेट का विश्व विजेता बनाने वाले कप्तान कपिल देव लंबे समय से इन पुरस्कारों से जुड़े हैं. कपिल अपने समकालीन खिलाड़ियों के साथ पिछड़े इलाकों में जाकर खेलों को बढ़ावा देने का काम करते रहे हैं. सर इयान बॉथम के साथ उनकी यह तस्वीर मुंबई के धारावी की है.
नामी खिलाड़ियों का साथ
खेलों को दुनिया के कोने कोने में फैलाने के इरादे से लॉरेयस वर्ल्ड स्पोर्ट्स एकेडमी काफी कुछ करती है. इसी अभियान के तहत हर साल भारत में कुछ आयोजन होते हैं. 2004 में ऐसे ही एक आयोजन में महान ट्रैक रेसरों में शुमार अमेरिका के एडविन मोजेस भी पहुंचे. 1977 से 1987 के बीच मोजेस ने लगातार 107 फाइनल जीते.