"भारत में पांच फीसदी से ज्यादा विकास"
१५ नवम्बर २०१३मुंबई में भारतीय बैंक संघ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि कर्ज न लौटाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाए लेकिन जो लोग आर्थिक विकास घटने से प्रभावित हो रहे हैं, उनका भी खास ख्याल रखा जाए.
उनका कहना है कि महंगाई, खास तौर पर खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं. आर्थिक व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "यहां वहां जो हरियाली दिख रही है, वह कई गुना बढ़ सकती है और अर्थव्यवस्था बेहतर हो सकती है. इस वित्तीय साल के दूसरे हिस्से में बड़ा बदलाव होगा और इस बात की पूरी संभावना है कि पांच से साढ़े पांच फीसदी के विकास दर को हासिल कर लिया जाए."
भारत का आर्थिक विकास पिछले साल 2012-13 में एक दशक में सबसे कम स्तर यानी पांच फीसदी पर पहुंच गया था, जबकि इस वित्तीय साल के पहले तिमाही में यह 4.4 फीसदी हो गया. दूसरी तिमाही के नतीजे 29 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.
चिदंबरम का कहना है कि मौद्रिक नीति का खाने पीने की चीजों के महंगा होने से कोई रिश्ता नहीं है, "महंगाई पर काबू पाने का हमें एक ही तरीका दिख रहा है कि हम सप्लाई बढ़ाएं. सप्लाई बढ़ाने के लिए आपको ज्यादा निवेश करना होगा, ज्यादा उत्पादन करना होगा, ज्यादा वितरण करना होगा, आपके पास ज्यादा लॉजिस्टिक सुविधाएं होनी चाहिए और उत्पादों को स्टोर तक पहुंचाने का जरिया होना चाहिए."
हाल के दिनों में खास तौर पर प्याज की कीमत बहुत बढ़ी है, इसके अलावा दूसरी सब्जियों और खाने पीने की वस्तुएं भी महंगी हो गई है. भारतीय वित्त मंत्री का कहना है, "हमारे सामने एक चुनौती है और उसका समाधान करना जरूरी है. इसके साथ ही हमें यह भी समझना है कि इस चुनौती के साथ हमारे सामने कई ऐसे कदम दिखते हैं, जिन्हें उठाना जरूरी है. इसे ही हम नीति कहते हैं, जिनमें मौद्रिक नीति भी शामिल है." उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था लाल निशान छू रही है और हमें इससे पार पाना है.
एजेए/एमजी (पीटीआई, रॉयटर्स)