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भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है: सानिया मिर्जा

१४ फ़रवरी २०१८

पिछले एक दशक से सानिया मिर्जा भारतीय महिला टेनिस की सबसे बड़ी हस्ती बनकर उभरी हैं, लेकिन वह देश में सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पर अफसोस जताती हैं.

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US Open Tennis New York Sania Mirza
तस्वीर: UNI

महिला टेनिस में कई खिलाड़ियों के आने के बाद भी कोई सानिया के बराबर तक नहीं पहुंच सकी है. उन्होंने वैश्विक स्तर पर कई खिताब अपने नाम किए हैं. छह ग्रैंड स्लैम जीतने वाली सानिया ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हमारे पास अच्छा तंत्र नहीं है. अगर छह साल का लड़का या लड़की रैकेट पकड़ना चाहे तो उसे पता नहीं होता कि क्या करना है. सिर्फ अनुमान लगाया जाता है. यह ट्रायल एंड एरर की तरह है तभी हम 20 साल में एक चैंपियन निकाल पाते हैं. अगर हमारे पास अच्छा तंत्र होता तो हम हर दो साल में चैंपियन निकालते."

उन्होंने कहा, "टेनिस दूसरे खेलों की तुलना में काफी मुश्किल खेल है. मेहनत के लिहाज से नहीं बल्कि पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिहाज से. कई लोग आर्थिक मदद के बिना बीच में ही रुक जाते हैं." सानिया के अनुसार, "मैं किसी दूसरे खेल को कम साबित नहीं करना चाहती, मैं सिर्फ कह रही हूं कि टेनिस वैश्विक खेल है, जिसे 200 देश खेलते हैं." 

उन्होंने कहा, "52 टूर्नामेंट होते हैं. हर सप्ताह एक टूर्नामेंट जहां आप खेल सकते हो. खासकर वहां से आकर भी जहां इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है." इस समय घुटने की चोट से जूझ रहीं सानिया ने हाल ही में फेडरेशन कप में भारतीय टीम के प्रदर्शन की सराहाना की है. भारतीय फेड कप टीम में अंकिता रैना, करमान कौर थांडी, प्रंजला यादलापल्ली और प्रथना थाम्बोरे थीं. सानिया ने इन सभी की तारीफ के साथ ही कहा कि किसी न किसी को आगे आना होगा. वह कहती हैं, "मैंने कई वर्षों से इन लड़कियों को देखा है. ये काफी अच्छा खेलती हैं. यह सभी काफी प्रतिभाशाली और मेहनती हैं, लेकिन बात एक कदम आगे आने की है."

उन्होंने कहा, "अंकिता ने फेड कप में कुछ अच्छी रैलियां जीतीं. उन्होंने शीर्ष-100 में शामिल खिलाड़ी को मात दी. इससे आपको उम्मीद मिलती है, लेकिन हम उस खिलाड़ी का इंतजार कर रहे हैं, जो अगला कदम उठाए और अभी तक ऐसा नहीं हुआ है." उन्होंने कहा, "मैं हमेशा नहीं खेलने वाली हूं. इसलिए किसी न किसी को महिला टेनिस को आगे ले जाना है जो पिछले 20 वर्षो में काफी उतार-चढ़ाव से गुजरा है. हम वहां नहीं जाना चाहते जहां हम पहले थे."

त्रिदिब बापरनाश (आईएएनएस)