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ब्राजील में लाखों लोगों की जिंदगी पर खतरा बन गये हैं बांध

रोड्रिगो मेनेगाट शुइंस्की
३० अप्रैल २०२२

डीडब्लू के एक डाटा विश्लेषण से पता चलता है कि ब्राजील में बांधों के नजदीक रहने वाले करीब दस लाख लोगों की जिंदगी खतरे में है. बांध अगर ढह गए तो उनकी जान जा सकती है और ऐसी आपदायें पहले आ चुकी हैं.

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बांध की विपदा में तबाह हुआ इलाका
बांध की विपदा में तबाह हुआ इलाकातस्वीर: Mauro Pimentel/AFP

डीडब्लू के आकलन के मुताबिक ब्राजील में करीब दस लाख लोग किसी ना किसी खतरनाक बांध के करीब रहते हैं. ये स्थिति देश में एक और हादसे की आशंका बयान कर रही है. ब्राजील में 2009 से अब तक तीन बड़े स्तर की बांध आपदाएं आ चुकी हैं. 

आकलन के निष्कर्ष में वे तमाम लोग शामिल हैं जो देश के 1220 बांधों से महज एक किलोमीटर दूर, आबादी वाले इलाको मे रहते हैं. ब्राजील की राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्रणाली (एसएनआईएसबी) के तहत इन बांधों को "उच्च जोखिम” और "उच्च संभावित नुकसान” वाले बांधों के तौर पर रखा गया है.  

"उच्च जोखिम” वाले वर्गीकरण का मतलब ये है कि बांध की संरचना को क्षति पहुंची है, उसमे डिजाइन की गड़बड़ी है या फिर उसकी देखरेख ठीक से नहीं हो रही है. इस तरह वो सांगठनिक हादसों और सुरक्षा से जुड़े खतरों के लिहाज से अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाला हो जाता है जिसमें आगे चलकर दरार भी पड़ सकती है. उच्च संभावित नुकसान वाले बांध से मतलब यह है कि उस बांध के फेल हो जाने की एक बड़ी पर्यावरणीय, मानवीय या आर्थिक कीमत हो सकती है.

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ये मुद्दा शासकीय गलतियों से और भड़क रहा है. कानूनी जरूरतों के बावजूद कई बांधों के लिये सुरक्षा और आपात योजनाएं नहीं हैं जिनसे यह तय किया जा सके कि आपदा की स्थिति में क्या किया जाना चाहिए.

इस साल फरवरी में जमा किए गए एसएनआईएसबी के डाटा के मुताबिक, हाई रिस्क और हाई पोटेंशियल डैमेज की श्रेणी में रखे गए बांधों में से 39 ऐसे हैं जहां पर खनन का मलबा पड़ा हुआ है जिसे खासतौर पर अस्थिर माना जाता है. 2015 में मारियाना और 2019 में ब्रुमाडीन्हो शहरों में इन्हीं की वजह से बांधों में विपदाएं आई थीं. 

Data visualization Brazilian dam safety population near dams EN

अधिकांश जोखिम भरे बांध, जल भंडारण और सिंचाई के बांध हैं. वे प्रमुख रूप से पूर्वोत्तर में स्थित हैं, ये इलाका अपेक्षाकृत रूप से गरीब है जो ऐतिहासिक तौर पर पानी की किल्लत का भी शिकार रहा है.

इस इलाके में कई जलाशय, सूखे की भरपाई के लिए बनाए गए थे. लेकिन उचित रखरखाव ना होने से वे अकेले ही इस इलाके के करीब छह लाख लोगों पर खतरा बने हुए हैं.

बुनियादी ढांचे में उपेक्षा के प्रतीक हैं बांध

अर्ध-शुष्क मौसम वाले रियाचो डा क्रूज शहर में करीब 3,000 लोग रहते हैं. बारिश बहुत ही कम होती है और नदियों का जलस्तर बहुत नीचे है.

इस नगर में कमोबेश हर व्यक्ति एक खतरनाक बांध के निचले इलाके में रहता है. अक्सर पड़ने वाले सूखे के दौरान पानी का प्रवाह बनाए रखने के लिए 1957 में बना ये बांध, ब्राजील के पूर्वोत्तर में बिखरे बांधों के सूरते-हाल का एक अच्छा उदाहरण है.

एक प्रमुख ब्राजीली अकादमिक संस्थान फियोक्रूज में स्वास्थ्य और आपदा के शोधकर्ता मारियानो आंद्रादे दा सिल्वा कहते हैं, "1960 और 70 के दशकों में संघीय सरकार ने इस इलाके में जल सुरक्षा को प्रोत्साहित करने की कोशिश की थी." सूखाग्रस्त इलाकों में जलाशयों का निर्माण उन्हीं कोशिशों का हिस्सा था.

दा सिल्वा कहते हैं, "उचित देखरेख नहीं होने से वे ढांचे, आबादी के लिए खतरा बन चुके हैं."

उपेक्षित और जर्जर बांधों के अलावा दा सिल्वा, "अनाथ” बांधों का भी जिक्र करते हैं. इन बांधो के लिए जिम्मेदार व्यक्ति या संगठन या तो अज्ञात हैं या इनकी देखरेख का काम छोड़ चुके हैं.

नतीजतन, पूर्वोत्तर में हर 1,000 में से 10 आदमी एक खतरनाक बांध के पास रहते हैं. ब्राजील के तमाम इलाकों में ये संख्या सबसे बड़ी है. दक्षिणपूर्व में, जो साओ पाउलो और रियो डे जनेरियो से संपन्र इलाकों का घर है, वहां भी हर 1000 में से तीन लोग वैसे ही हालात में रहते हैं.

ब्राजील के बांध की सुरक्षा को दिखाती सेटेलाइट से ली गई तस्वीर
ब्राजील के बांध की सुरक्षा को दिखाती सेटेलाइट से ली गई तस्वीर

संसाधनों की कमी से बिगड़ती हालत

बांध वाले इलाकों में संसाधनों की कमी भी हालात को और पेचीदा बनाती है. ब्राजीली भूगोल और सांख्यिकी संस्थान (आईबीजीई) के हाल के एक सर्वे के मुताबिक कम से कम एक खतरनाक बांध के नजदीक बसे 20 फीसदी पूर्वोत्तर शहरों के पास नागरिक सुरक्षा की मुस्तैद और सक्रिय सेवाएं नहीं हैं.

इन नागरिक सुरक्षा सेवाओं का काम है खतरे को कम करने वाले कार्यक्रम लागू करना, जिनमें संवेदनशील इलाकों की पहचान और आकस्मिक योजनाएं बनाना भी शामिल है. अगर विपदा आती है तो ये सेवाएं ही बचाव कार्यों का समन्वय करती हैं. 

दा सिल्वा कहते हैं, "विपदा एक असंभाव्य घटना है. लेकिन अगर वो हो जाती है तो ना सिर्फ मौतों का कारण बनती है बल्कि इन समुदायों का विनाश भी लाती है." वो कहते हैं, जलाशय इंसानी खपत और खेती दोनों के लिए एक जीवंत जल संसाधन हैं. एक बांध के ठप हो जाने से स्थानीय खाद्य और जल सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है.

हालिया इतिहास ऐसी घटनाओं के नतीजे भी दिखाता है. 2009 में पूर्वोत्तर राज्य पियाउई के 25 हजार की आबादी वाले कोकाल शहर में एक बांध बैठ गया था. उस घटना में नौ लोगों की जान गईं, सैकड़ों विस्थापित हुए और स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था छिन्नभिन्न हो गई.

तबसे ब्राजील में अक्सर ही प्रमुख बांध त्रासदियां आती रही हैं. 2015 में मारियाना और 2019 में ब्रुमाडीन्हो शहर की आपदाएं, देश की दो सबसे बड़ी बांध दुर्घटनएं थीं, उनकी याद लोगो के जेहन में आज भी ताजा है. दोनो हादसों में करीब 300 लोग मारे गए थे.

खनन वाले इन शहरो में ढहे बांध, पूर्वोत्तर के बांधों से काफी अलग थे. वे टेलिंग डैम यानी पुछल्ले बांध थे जिन्हें खनन का मलबा जमा करने में इस्तेमाल किए जाता है.

बांध की विपदा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते ब्राजील के लोग
बांध की विपदा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते ब्राजील के लोगतस्वीर: Gustavo Andrade/AP Photo/picture alliance

आधी तबाहियां एक खनन राज्य में हुईं

हालांकि पुछल्ले बांधों की संख्या उल्लेखनीय रूप से कम है फिर भी वे बहुत सारी त्रासदियों के जिम्मेदार हैं.

ब्राजील में 1986 और 2019 के बीच, बड़े स्तर की 18 बांध दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं. इनमें से नौ का संबंध खनन ऑपरेशनों से था. आठ दुर्घटनाएं मीनास गेरियास राज्य में हुईं थी जो 18वीं सदी से ब्राजील का एक प्रमुख खनन ठिकाना रहा है. इनमें ब्रुमाडीन्हो और मारियाना के हादसे भी शामिल हैं.

मीनास गेरियास स्टेट यूनिवर्सिटी में माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर इवांद्रो मोरास डा गामा कहते हैं कि, "टेलिंग डैम में पानी नहीं टिकता है, दूसरे बांधों की तरह. ये बिल्कुल अलग होते हैं. इनमें जमा कचरे में रेत, बालू, मिट्टी, स्टार्च, लोहा...ये सब होता है...ये बहुत ज्यादा खतरनाक, ज्यादा अस्थिर होता है. कोई तकनीक नहीं है, ब्राजील में या दुनिया में कहीं और भी, जो ये सारा मलबा 100 फीसदी सुरक्षा के साथ थामे रख सके."

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रियो डे जनेरियो स्टेट यूनिवर्सिटी मे बांध सुरक्षा में जियोटेक्निकल इंजीनियर राफएला बाल्दी का कहना है कि बहुत सारी नाकामियां, प्रबंधन के खराब तौरतरीकों से ही होती हैं.

बाल्दी के मुताबिक, उचित देखरेख की कमी के लिए खनन कंपनियां जिम्मेदार हैं. वे खुदाई के स्तर को बढ़ाने और लागत को कम करने पर जोर देती रहती हैं. वो कहती हैं कि वे संस्थान भी दोषी हैं जिनका काम है खनन गतिविधियों की निगरानी करना. 

इसका एक बड़ा उदाहरण है ब्रुमाडीन्हो बांध जिसने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया.  

खनन कंपनी के अधिकारियों और जर्मन कंपनी टीयूवी ज्यूड के ऑडिटरों ने उन बांधों की स्थिरता पर मुहर लगाई थी जो बाद में ढह गए. वे अब बांधों के ढांचे की गड़बड़ियों को नजरअंदाज करने के आरोपों का जवाब दे रहे हैं.

बांध के ढहने से प्रभावित इलाके की तस्वीर
बांध के ढहने से प्रभावित इलाके की तस्वीरतस्वीर: Mauro Pimentel/AFP

बाल्दी कहती हैं, "बदकिस्मती से ये चीज उसी तबाही तक सीमित नहीं है. ये रवैया ब्राजील में सब जगह व्याप्त है. खनन कंपनियां परामर्शदाताओं पर दबाव डालती हैं और वे अपनी रिपोर्ट में आखिरकार वही लिखते हैं जो उस समय उनके लिए सबसे सुविधाजनक होता है."

खतरे पर आंख मूंदे रहे

जब ब्रुमाडीन्हो और मारियाना बांध ढह गए तो उन्हें सार्वजनिक रूप से हाई-रिस्क वाले बांध के रूप में चिन्हित नहीं किया गया था. ये ब्राजील में बांध समस्या का एक दूसरा पहलू दिखाता है- खासतौर पर सूचना का अभाव. देश इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उसके पास कितने बांध हैं, वे किस हाल में हैं और उनकी मरम्मत हुई भी या नहीं. 

2010 से देश के सभी बांधों के बारे में सूचना, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा सूचना प्रणाली में रखा जाना तय किया गया है. ये प्रणाली राष्ट्रीय जल एजेंसी (एएनए) के तहत संचालित की जाती है.

फिर भी डाटा पूरा होना तो दूर अभी पूरा भरा भी नहीं गया है. एएनए की सालाना रिपोर्टों में ये बात रेखांकित की गई है. डाटाबेस में इस समय कोई 22,000 बांधों का विवरण दर्ज है. लेकिन एजेंसी के अनुमानों के मुताबिक देश में इस समय करीब 170,000 कृत्रिम जलाशय यानी बांध मौजूद हैं.

सिस्टम में मौजूद 57 फीसदी बांधों के बारे में ये तय करने के लिए कोई सूचना नहीं है कि वे कानूनी दायरे में आते हैं या नहीं. यानी ये साफ नहीं है कि अपने आकार, जोखिम के स्तर या संभावित नुकसान के वर्गीकरण के लिहाज से सुरक्षा के पैमाने निर्धारित करने वाले कानून के दायरे में ये बांध आते हैं या नहीं.  

राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के सवालों की जद में आने वाले 6000 बांधों में से अधिकतर बांध शर्तें पूरी नहीं करते हैं. 73 फीसदी बांध ऐसे हैं जिनके पास आवश्यक सुरक्षा या आपात योजनाएं नहीं हैं. दूसरे शब्दो में वे ये बुनियादी मार्गदर्शन नहीं मुहैया कराते कि विपदा की स्थिति में क्या करना चाहिए. 

ब्राजील और पैराग्वे के बीच बना बांध
ब्राजील और पैराग्वे के बीच बना बांध तस्वीर: Fotoember/imago images

राष्ट्रीय जल एजेंसी एएनए में बांध सुरक्षा समन्वयक फर्नांदा लाउस के मुताबिक नयी सार्वजनिक नीति लागू करते समय सूचना का अभाव होना स्वाभाविक है. सुरक्षा निगरानी का डाटाबेस 12 साल पहले बनाया गया था.

वो कहती हैं कि सूचना का अभाव बने रहने के लिए नियामक व्यवस्था का कामचलाऊ रवैया जिम्मेदार है. 44 सरकारी संगठन ही आखिरकार डाटा जमा करते हैं. फंडिंग और स्टाफ को लेकर उनका अपना अपना रोना है.

लाओस कहती हैं, "संसाधन सीमित है. ये स्वाभाविक है कि बड़े बांधो को पहले लिया जाए और छोटे बांधो पर बाद में काम हो.” वो ये भी कहती है कि "कुछ नियामक गायब या आधेअधूरे डाटा को भरने के लिए मुस्तैदी दिखा रहे हैं. लेकिन सभी एजेंसियों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता. कुछ के पास तो अभी ये करने की क्षमता भी नहीं है.”