बुंडेसलीगा और इश्तिहार
जर्मन फुटबॉल लीग यानी बुंडेसलीगा में विज्ञापनों की शुरुआत 1973 में हुई, जब पहली बार टीशर्ट पर किसी कंपनी का नाम लिखा गया. इसके बाद तो इसने एक नए बिजनेस की कहानी गढ़ दी और आज हर टीम पर करोड़ों का दांव लगता है.
पहला पहला इश्तिहार
साल 1973 तक जर्मनी में जर्सियों पर विज्ञापनों की रोक थी. लेकिन इसके बाद रोक हटाई गई और यह तस्वीर आज भले ही साधारण दिखे लेकिन स्पांसरों के मामले में मील का पत्थर है. ब्राउनश्वाइग टीम ने पहली बार किसी कंपनी के साथ जर्सी पर विज्ञापन किया.
शुरुआत भर की देर थी
एक बार ब्राउनश्वाइग ने बर्फ पिघला दी, फिर तो बुंडेसलीगा की दूसरी टीमों के लिए भी स्पांसरों की लाइनें लगने लगीं. हैम्बर्ग और फ्रैंकफर्ट को फौरन स्पांसर मिल गए, जबकि डुसेलडॉर्फ और डुइसबुर्ग भी इस कतार में शामिल हो गए. पांच साल के अंदर सभी टीमों की जर्सियां स्पांसरों के नाम से भर गईं.
शाही विज्ञापन?
अस्सी के दशक में तो इंग्लैंड और नीदरलैंड्स का शाही परिवार भी इन विज्ञापनों से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ गया. दरअसल महारानी एलिजाबेथ और बेआट्रिक्स के बीपी कंपनी में बहुत शेयर थे, जो उस वक्त हैम्बर्ग को स्पांसर करता था.
जर्मनी में लंदन
होम्बर्ग के ये पांच खिलाड़ी 1988 में लंदन का विज्ञापन कर रहे हैं. लंदन यानी ब्रिटेन की राजधानी का नहीं, बल्कि एक कंडोम कंपनी का विज्ञापन है. देश में हंगामा मच गया. क्या ऐसा किया जा सकता है? 1989 में जर्मनी की एक अदालत ने इस विज्ञापन के पक्ष में फैसला किया.
क्या ट्रेजडी है
कार्ल्सरुहे के क्लाउस राइटमायर (दाहिने से दूसरे) कई साल से काइजर्सलाउटर्न के स्टार गोलकीपर गेरी एयरमन से प्रतियोगिता में खुद को साबित करना चाहते थे. सफल नहीं होने पर फ्रस्टेट हो कर वे कार्ल्सरूहे की टीम में गए. लेकिन एयरमन नाम से उनका पीछा नहीं छूटा. नई टीम के स्पांसर का यही नाम था.
ओपेल और बायर्न
भले ही म्यूनिख में बीएमडब्ल्यू का मुख्यालय हो लेकिन बायर्न म्यूनिख की टीम को 1989 में ओपेल ने स्पांसर किया और बरसों वही इसका स्पांसर रहा. जर्सी पर उसी का नाम दिखता रहा. इस बीच टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और ओपेल का भी खूब नाम हुआ.
टीम के लिए कुछ भी करेगा!
डुसेलडॉर्फ की टीम को जब बड़ा प्रायोजक नहीं मिला, तो गायक कांपीनो के पंक रॉक बैंड „डी टोटेन होजेन“ का ही प्रचार कर दिया. इस जर्सी पर जर्मनी के इस म्यूजिक बैंड का लोगो है, नाम नहीं.
संदेश देते टीशर्ट
कभी कभी टीशर्ट पर लिखे दो तीन शब्द बड़े संदेश दे देते हैं. ऐसा ही हुआ, जब जर्मनी के रॉस्टॉक में विदेशियों पर हमले के बाद बुंडेसलीगा ने 1992 ने यह टीशर्ट बनाई, जिस पर लिखा है,"मेरा दोस्त विदेशी है."
वाह, क्या रंग है
बोखुम की टीम को एक बार लॉटरी वाली यह रंग बिरंगी जर्सी पहननी पड़ी. यह बात अलग है कि टीम ने इतना बुरा प्रदर्शन किया कि उसे बुंडेसलीगा छोड़ कर सेकंड लीग में जाना पड़ा.
विज्ञापन का पैसा नहीं
लेवरकूजेन और वोल्फ्सबुर्ग की टीमों को उनके शहर की मशहूर कंपनियां बायर और फोल्क्सवागन स्पांसर करती आई थीं. लेवरकूजेन में साल 2000 तक ऐसा ही हुआ लेकिन इसके बाद कहा गया कि बायर के पास धन कम होने के कारण वह पहले की तरह क्लब में निवेश नहीं कर सकती.
अलग अलग कंपनियां
पिछले साल बुंडेसलीगा में अलग अलग कंपनियों ने अपने इश्तिहार किए. इनमें ऊर्जा कंपनी के अलावा टेलीफोन सेवा और दो बैंक भी शामिल हैं. कार कंपनी, हवाई जहाज और बीमा कंपनियों ने भी फुटबॉल के जरिए विज्ञापन दिए.
जर्सी से विरोध
वेर्डर ब्रेमन ने जब वीजेनहोफ कंपनी की जर्सी पहनी, तो कई लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. ये मुर्गियां पालने वाली कंपनी है, जिस पर छोटी जगह में बहुत सारी मुर्गियों को बुरी हालत में रखने के आरोप लगे थे.