बारिश में कैसे हो बसर
अगस्त के आखिरी दिनों में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद लगभग 4 लाख रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं. लेकिन अब वहां भारी बारिश हो रही है और राहत शिविर कीचड़ भरे इलाकों में तब्दील होने लगे हैं.
शरणार्थी शिविरों में अनिश्चितता की स्थिति
बहुत थोड़ा सा खाना, उससे भी कम टेंट - और अब भारी बारिश भी. हजारों लाखों रोहिंग्या बांग्लादेश में ऐसी ही स्थिति में रह रहे हैं. वे पड़ोसी देश म्यांमार से भागकर आये हैं, जहां सेना चरमपंथियों से निपटने के नाम पर अभियान चला रही है.
बारिश ने बढ़ायी परेशानियां
बीते कुछ दिनों से मानसून ने हालात को और बिगाड़ दिया है. बांग्लादेश के पश्चिम में म्यांमार की सीमा से सटे कॉक्स बाजार में 24 घंटे में औसतन 8 इंच बारिश हो रही हो रही है. टेंट की कमी यहां पहले से थी, अब उनमें से भी कई पानी में डूब गये हैं. भीड़ वाले ये टेंट कीचड़ भरे इलाके में बदल गये हैं.
अभी और बारिश होनी है
कई लोगों के पास इस बारिश से खुद को बचा पाने के लिए कोई जगह नहीं है. ज्यादातर लोग यहां तुरत फुरत में बनाए गये टैंटों में रह रहे हैं. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में और बारिश होने की संभावना है.
राहत सामग्री का अभाव
यहां कई संगठनों के लोग राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहे हैं लेकिन फिलहाल की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के एक प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा था कि यह क्षेत्र इतनी बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को संभालने में असमर्थ है.
नये ठिकानों की तैयारी
बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को एक केंद्रीय कैंप में भेजना चाहती है ताकि बेहतर राहत सामग्री पहुंचायी जा सके. हालांकि आलोचकों का कहना है कि शरणार्थियों को पूरे देश में फैलने से रोकना चाहिए. हाल ही में पुलिस ने शरणार्थियों को उनके लिए तय इलाके से बाहर जाने से रोक दिया, जिससे कई लोग बारिश में भीगते रहने को मजबूर रहे.
4 हफ्तों में 4 लाख लोग
अगस्त के आखिरी दिनों से अब तक 4 लाख से भी ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंच चुके हैं. इससे पहले हुए संघर्ष में भी 3 लाख से ज्यादा रोहिंग्या पहले से बांग्लादेश पहुंचे थे. हालांकि इस बीच मौसम बिगड़ने से पहले की तुलना में कम रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंच रहे हैं.
अपने ही देश में पराये
रोहिंग्या बौद्ध देश म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं, जिन्हें नागरिकों के रूप में वहां मान्यता नहीं दी जाती है और वे बड़े पैमाने पर भेदभाव के शिकार हैं. सरकार ने उन्हें बांग्लादेश से आये अवैध प्रवासी मानती है, भले ही वे पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं. म्यांमार के रखाइन में सुरक्षा बलों की कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र ने निंदा करते हुए इसे "जातीय सफाया" कहा है.
10 में से 6 शरणार्थी बच्चे
यूनिसेफ के मुताबिक हाल ही में म्यांमार से बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या मुसलमानों में दस में से छह बच्चे हैं, जिनमें से कई कमजोर और कुपोषित हैं. बरसात के मौसम में बहुत से बच्चे फ्लू और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. कॉक्स बाजार के अस्पताल के एक प्रवक्ता के मुताबिक अगले हफ्ते बांग्लादेश में खसरा, रूबेला और पोलियो के खिलाफ 150,000 बच्चों को टीका लगाने की योजना है.
आलोचकों का दिया जवाब
रोहिंग्या मसले पर दुनिया भर से आलोचना झेल रहीं म्यांमार की नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची ने पूरे देश को संबोधित करते हुए इस मसले पर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, "रखाइन प्रांत में फैले संघर्ष में जिन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए मैं दिल से दुख महसूस कर रही हूं और हम लोगों की दुख-तकलीफ को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहते हैं."