'बाबरी तोड़ना अपराध ही रहेगा'
१ अक्टूबर २०१०गृह मंत्री ने अयोध्या की विवादित जमीन की मिल्कियत के बारे में हाई कोर्ट के फैसले के बाद लोगों के "सम्मानजनक और गरिमापूर्ण" रुख पर संतोष जताया है. उन्होंने कहा कि यह तय ही था कि हाई कोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा. उन्होंने कहा, "केंद्र के लिए अभी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है. अदालत के फैसले पर अभी अमल नहीं किया जा रहा है. यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया है."
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया. इसमें से एक हिस्सा हिंदू पक्ष को, दूसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को देने का फैसला सुनाया. इस फैसले को अहम बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह भी माना ही जाना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई अंतरिम आदेश देगा. इसीलिए अभी इस फैसले पर टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा. 1949 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक यथास्थिति को बनाए रखा जाएगा.
गृह मंत्री ने मीडिया को भी सलाह दी कि फैसले का ज्यादा मतलब न निकाले. जब उनसे पूछा गया कि क्या हाई कोर्ट के निर्णय के बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला हल्का हुआ है तो चिदंबरम ने कहा कि इसका 6 दिसंबर 1992 को हुई घटना से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा, "यह घटना बिल्कुल अस्वीकार्य है. यह कानून को अपने हाथ में लेने वाले लोगों का काम था. मेरी नजर में यह एक आपराधिक मामला बना रहेगा. मेहरबानी करके यह न कहें कि जजों ने 1992 की घटना को उचित ठहराने की कोई कोशिश की है."
कानून व्यवस्था पर चिदंबरम ने कहा कि देश में पूरी तरह शांति है और किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है. वह कहते हैं, "हम इस बात से खुश और संतुष्ट हैं कि लोगों ने फैसले को सम्मानजनक और गरिमापूर्ण तरीके से लिया."
चिदंबरम ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के इस सवाल का जवाब भी दिया कि केंद्र सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए भी पर्याप्त सुरक्षा बल मुहैया नहीं कराए. गृह मंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश की सरकार केंद्र की तरफ से दिए गए सुरक्षा बलों की मदद से ही कानून व्यवस्था बनाए हुए है. अगर राज्य सरकार चाहती है कि केंद्र यूपी पुलिस की मदद से कानून व्यवस्था बनाए, तो फिर ठीक है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार