बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा पर चेतावनी
४ नवम्बर २०१२बांग्लादेश शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी एजेडएम नुरूल हक ने बताया है कि पिछले हफ्ते सरकार ने देश के 114,000 स्कूलों, मदरसों और यूनिवर्सिटी को इस सिलसिले में निर्देश भेजा है. उन्होंने कहा, "धर्म के नाम पर उग्रवाद एक बड़ी समस्या है. हमें उम्मीद है कि इस तरह के कार्यक्रमों से इसके खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा होगी." नुरूल हक ने कहा कि शिक्षा संस्थानों से छात्रों के साथ उग्रवाद और उसके खतरों के बारे में नियमित रूप से खुला संवाद चलाने के लिए कहा गया है.
इस साल अगस्त में सरकार से संचालित एक स्वायत्त संस्था ने देश की 200,000 से ज्यादा मस्जिदों में मौलवियों के प्रवचन की निगरानी शुरू की थी ताकि वे जुम्मे की नमाज का इस्तेमाल हिंसा को बढ़ावा देने के लिए न करें. इस्लामिक फाउंडेशन के निर्देशों के पालन पर नजर रखने के लिए इस्लामिक स्टडीज पढ़ चुके 40 हजार लोगों को काम पर लगाया गया है. मौलवियों को जुम्मे की नमाज के दौरान धार्मिक कट्टरपंथ और उग्रवाद के खिलाफ बोलने और अपने प्रवचन में घृणा और हिंसा के बदले प्रेम की भावना पर जोर देने को कहा गया है.
मुस्लिम बहुल बांग्लादेश हजारों मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली की मुख्य धारा में शामिल करने पर भी काम कर रहा है. इस्लामिक फाउंडेशन ने उग्रवाद विरोधी सेल बनाया है और हिंसा और उग्रवाद के खिलाफ दो किताबें मदरसों और मस्जिदों में बंटवाई हैं.
बांग्लादेश पिछले सालों में बड़े भारत या पाकिस्तान के विपरीत इस्लामी उग्रपंथी हमलों से बचने में कामयाब रहा है, हालांकि 2004-2005 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में दर्जनों लोग मारे गए थे. उसके बाद यह आशंका पैदा हो गई थी कि वह इस्लामी उग्रपंथ का गढ़ बन सकता है. उसके बाद विभिन्न सरकारों ने उग्रवादी संगठनों पर शिकंजा कसना शुरू किया. मुकदमा चलाकर छह उग्रवादी सरगनों को फांसी की सजा दी गई और दर्जनों जेल में हैं.
पिछले महीने एक युवा बांग्लादेशी अमेरिका में एक स्टिंग ऑपरेशन में न्यूयॉर्क में केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के मुख्यालय को उड़ाने की योजना बनाने के आरोप में पकड़ा गया था. पिछले हफ्तों में बांग्लादेश के अंदर भी नई उग्रवादी घटनाओं की खबरें आई हैं और अधिकारियों ने उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई भी तेज कर दी है.
एमजे/एनआर (एएफपी)