बहादुर पत्रकार बने 'पर्सन ऑफ द ईयर'
११ दिसम्बर २०१८साल 2018 में दुनिया के कई देशों से पत्रकारों की अप्रतिम वीरता और दृढ़निश्चय से अपना कर्तव्य निभाने के कई उदाहरण सामने आते रहे. इसमें सऊदी अरब के दिवंगत पत्रकार जमाल खशोगी के अलावा म्यांमार सरकार द्वारा जेल में बंद किए गए समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पत्रकार भी शामिल हैं. टाइम पत्रिका ने इस सबको अपनी कवर स्टोरी बनाकर "द गार्जियन्स एंड द वॉर ऑन ट्रुथ" शीर्षक के साथ प्रकाशित किया है.
पर्सन ऑफ द ईयर का सम्मान इस बार चार पत्रकारों और एक अखबार को संयुक्त रूप से दिया गया है. इन्हें पत्रिका ने "दुनिया भर में लड़ी जा रही असंख्य जंगों का प्रतिनिधि" बताया है.
रॉयटर्स के दो पत्रकारों 32 साल के वा लोन और 28 साल के क्यो सू ओउ पर औपनिवेशिक काल के एक कानून ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा लगाकर म्यांमार सरकार ने करीब एक साल से जेल में बंद रखा हुआ है. इस मामले से पता चलता है कि म्यांमार में सही मायने में कितनी लोकतांत्रिक आजादी है. यह पत्रकार वहां से भगाए जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जिससे सरकार नाराज थी.
वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार सऊदी अरब के जमाल खशोगी 2 अक्टूबर को कुछ कागजात लेने के लिए इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास गए थे और उसके बाद लापता हो गए. घटना के कुछ दिन बाद तुर्क अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मारने के इरादे से तुर्की भेजे गए 15 सऊदी एजेंटों ने 'पूर्व नियोजित' साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी. खगोशी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आलोचक माने जाते थे.
इनके अलावा मैरीलैंड के एनापोलिस के अखबार 'कैपिटल गेजेट' भी चुना गया, जिसके दफ्तर पर हुए हमले में पांच लोग मारे गए थे. फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा को भी गार्जियन ऑफ ट्रूथ माना गया, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
आरपी/एमजे (रॉयटर्स, एपी)