फुटबॉल या फायर बॉल
आग के धधकते गोले से फुटबॉल खेलना, इंडोनेशिया के जावा द्वीप में ये आम चलन है. देखिए कैसे धधकती फुटबॉल खेलते हैं स्कूली बच्चे.
बॉल नहीं कुछ और है
असली फुटबॉल चमड़े की बनी होती है, लेकिन यहां गेंद नारियल की बनाई जाती है. नारियल पर केरोसिन डालकर आग लगाई जाती है और फिर खेल शुरू होता है.
बोर्डिंग स्कूल से निकला खेल
पहले ये खेल सिर्फ बोर्डिंग स्कूलों में खेला जाता था, लेकिन अब गली मुहल्लों में भी लोकप्रिय हो चुका है.
हेडर से कोई गोल नहीं
आग के गोले से खेलने वाले गेंद को कम से कम बार टच करके गोल तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इस दौरान सिर का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हेडर मारने की कोशिश में बाल जल सकते हैं.
कैसे बनाई जाती है बॉल
सबसे पहले नारियल को कई दिनों तक मिट्टी तेल में डुबो को रखा जाता है. इससे नारियल का कवच भी मुलायम हो जाता है और गेंद भी देर तक जलती रहती है.
नंगे पैर
हर टीम में पांच खिलाड़ी होते हैं. जूते पहनने का कोई नियम नहीं है, इसीलिए अक्सर किशोर नंगे पैर ही यह खेल खेलते हैं. कुछ को जूते काले होने या जलने की भी चिंता होती है.
14 मिनट से 60 मिनट का खेल
सामान्य फुटबॉल के खेल में 45-45 मिनट के दो हाफ होते हैं. लेकिन धधकती फुटबॉल का एक गेम कुल 7-7 या 10-10 मिनट का होता है. कभी कभार इसके बड़े और प्रतिष्ठित मुकाबले भी होते हैं, तब खेल 30-30 मिनट का चलता है.
महिलाएं भी मैदान में
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता की महिलाएं भी फायर फुटबॉल खेलने लगी हैं. आम तौर पर महिलाएं ये खेल रमजान के दौरान खेलती हैं. रिपोर्ट: आयु पुर्वासिंह/ओएसजे