प्राकृतिक रक्षा कवच
कई जीव जंतुओं की शारीरिक संरचना ही ऐसी है कि उनका शिकार करने वाले जानवर उससे घायल हो जाएं. त्वचा की बाहरी सतह पर पाया जाने वाला रक्षा कवच प्रकृति में कई रूपों में दिखता है.
साही या कांटेदार जंगली चूहा
जब भी इसे किसी खतरे का अंदेशा होता है तो साही अपने आप को एक गेंद की तरह मोड़ लेता है और इसकी बाहरी सतह पर 5,000 से भी अधिक कांटे से खड़े हो जाते हैं. ये कांटे एक साल में गिर भी जाते हैं और इसकी जगह नए कांटे ले लेते हैं.
कछुए
कछुए की कई किस्मों में शरीर के ऊपर भारी कवच पाया जाता है लेकिन सभी में खतरे के समय उनके अंदर सिमट कर छिप जाने का गुण नहीं होता. सदियों से कछुओं की एक किस्म, हॉक्सबिल टर्टिल के कवच का इस्तेमाल हल्के गहने और सजावटी चीजें बनाने के लिए होता आया था. 1973 से इनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर रोक है.
मगरमच्छ
खतरनाक शिकारी के रूप में प्रसिद्ध मगरमच्छ की बाहरी त्वचा कांटेदार स्केलों से ढकी होती है, जिसके नीचे हड्डियों का ढांचा होता है. प्राचीन मिस्र में पवित्र माने जाने वाले मगर के जबड़े में लंबे, चीर के रख देने वाले दांतों की कतार भी होती है.
पैंगोलिन छिपकली
पैंगोलिन की आठ किस्मों के बारे में पता है और आज ये आठों खतरे में हैं. स्तनधारियों की यह एकलौती प्रजाति हैं जो बड़े, किरेटिन के स्केलों से ढकी होती है. इसी त्वचा और और इनके मांस के लिए इनका शिकार होता है.
राइनो
बीते सालों में अवैध शिकार का सबसे अधिक निशाना बने हैं राइनो. इनके सींग के लालच में इनका अंधाधुध शिकार हो रहा है. सींग का चूरा बनाकर इसे कई चीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. राइनो की त्वचा ही किसी ढाल से कम मजबूत नहीं होती.
आर्माडिलो
प्रागैतिहासिक काल के लगने वाले आर्माडिलो के पेट को छोड़कर पूरा ही शरीर हड्डियों वाली स्केलों के ढका होता है. पेट पर रोएं होते हैं और यह काफी कोमल होता है. इनकी तीन किस्में पाई जाती हैं जिनमें से केवल एक ही में खुद को समेट कर गेंद जैसा बन जाने का गुण होता है.
बिच्छू
6 से लेकर 12 आंखें होने के बावजूद बिच्छुओं की नजर कमजोर होती है. अगर खतरे को देख ना पाएं तो भी खुद को शिकारियों से बचाने के लिए इनके पास खतरनाक डंक के साथ साथ जहरीली और कवच जैसी त्वचा भी होती है.
स्टर्जियॉन
आदिकालीन मानी जाने वाली इस मछली का शरीर आंशिक रूप से भारी प्लेटों से ढका होता है. हालांकि इनकी मदद से यह इंसान के फेंके मछली पकड़ने वाले जाल से नहीं बच पाती. स्टर्जियॉन मछली के अंडों की कावियार के रूप में काफी मांग है. खास तौर पर इंग्लैंड और वेल्स में तो इन्हें शाही मछली का दर्जा मिला हुआ है.