1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

किम जोंग उन के पास कैसे पहुंची लिमोजीन

२६ अप्रैल २०१९

लिमोजीन कारें बनाने वाली जर्मन कंपनी डायम्लर का कहना है कि उसे नहीं पता कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को उनकी बनाई कार कहां से मिली. उत्तर कोरिया के साथ जर्मनी के कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है.

https://p.dw.com/p/3HVfD
Kim Jong Un in Mercedes-Limousine
तस्वीर: Getty Images/L. Pham

बख्तरबंद लिमोजीन कारें बनाने वाली जर्मन कंपनी डायम्लर को समझ नहीं आ रहा है कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को उनकी कार कैसे मिली. कंपनी के उत्तर कोरिया के साथ कोई व्यापारिक लेनदेन नहीं होता. किम को कई अहम अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों के मौकों पर स्ट्रेच लिमोजीन मॉडलों में देखा गया है. हाल ही में रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात करने पहुंचे और फरवरी में डॉनल्ड ट्रंप के साथ हनोई में मिलने पहुंचे किम लिमोजीन से ही बाहर निकले थे.

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को लिमोजीन जैसे लक्जरी गुड्स बेचने पर रोक है. इन प्रतिबंधों का मकसद देश पर उसके परमाणु हथियार छोड़ने के लिए दबाव डालना है. फिर भी पता नहीं कैसे, लेकिन रूस में मुलाकात के समय वार्तास्थल के बाहर किम के लिए दो लिमोजीन कारें, मेबाख एस600 पुलमैन गार्ड और एक मर्सिडीज मेबाख एस62 खड़ी थी. डायम्लर प्रवक्ता सिल्के मोकेर्ट ने समाचार एजेंसी एपी को भेजे एक लिखित जबाव में बताया, "हमें बिल्कुल आइडिया नहीं कि ये गाड़ियां उत्तर कोरिया में डिलिवर कैसे हुईं."

China Besuch Kim Jong Un, Diktator Nordkorea | Konvoi
किम की गाड़ियों के काफिले के बीच में जा रही लिमोजीन.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Wong

जर्मनी के श्टुटगार्ट स्थित डायम्लर दुनिया की सबसे बड़ी और जानी मानी ऑटो कंपनियों में एक है. लक्जरी यात्री कारों और छह टन से ऊपर वाले ट्रकों के सबसे बड़े निर्माता हैं. दुनिया के लगभग सभी देशों में अपनी गाड़ियां बेचने वाली कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट यूरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका के अलावा एशिया और अफ्रीका में भी हैं. लेकिन आधिकारिक खरीदारों में उत्तर कोरिया का नाम नहीं है.

प्रवक्ता ने बताया कि कम से कम पिछले 15 सालों से कंपनी का उत्तर कोरिया से कोई बिजनेस संबंध नहीं है और डायम्लर ईयू और अमेरिकी प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करती है. उन्होंने कहा, "उत्तर कोरिया या उसके किसी भी दूतावास तक को कंपनी डिलिवरी नहीं देती. इसके लिए डायम्लर ने एक्सपोर्ट कंट्रोल नीति बनाई है. लेकिन अगर कोई थर्ड पार्टी, इस्तेमाल किए गए वाहन को आगे बेच देती है, तो उस पर ना किसी का नियंत्रण है और ना ही कंपनी जिम्मेदार." इस सबके बावजूद किम के पास लिमोजीन होना इसकी मिसाल है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचना कितना आसान हो सकता है.

आरपी/आईबी (एपी)