प्यारे क्नूट को मिला स्मारक
१८ जनवरी २०१२फ्रेंड्स ऑफ द कैपिटल जूस के प्रमुख थोमास जिल्को ने भालू के बारे में कहा, "क्नूट यहां आने वाले हजारों दर्शकों के दिलों में जिंदा है इसलिए हम एक स्थायी स्मारक के रूप में आने वाली पीढ़ियों के लिए इस मशहूर हस्ती के बारे में कुछ जानकारी छोड़कर जाना चाहते हैं." स्मारक के डिजाइन के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. विजेता के तौर पर उभरे मूर्तिकार जोसेफ ताबाचनिक की डिजाइन में सफेद रंग का क्नूट बर्लिन जू में अपने गुफा के बाहर आराम से लेटा है.
पिछले साल चार साल के क्नूट की अचानक दीमाग की बीमारी हो जाने से मौत हो गई. पैदा होने के बाद से ही वह जर्मनी और विश्व भर में एक प्यारे भालू के तौर पर मशहूर हो गया. पहली बार जब उसे दिखाया गया तो कुछ 100 कैमरे लेकर पत्रकार "क्यूट क्नूट" के फोटो लेने पहुंचे थे. क्नूट को देखने आने वाले लोगों से बर्लिन चिड़ियाघर को लाखों यूरो का मुनाफा हुआ. जर्मन पत्रिकाओं और जर्मनी के डाक टिकटों पर भी क्नूट का चेहरा दिखने लगा.
लेकिन क्नूट के बड़े होने के साथ साथ उसके व्यवहार में कुछ अनियमितताएं नजर आने लगीं. वैज्ञानिकों का मानना था कि ज्यादा लोगों के बीच रहने की वजह से क्नूट का दिमागी संतुलन खराब हो गया था. इस बीच दिमाग में बीमारी से उसकी जान चली गई. क्नूट की मौत के बाद हजारों लोगों ने जू के बाहर उसके लिए फूल, तोहफे और संदेश छोड़े.
क्नूट के लिए स्मारक बनाने में 15,000 यूरो लगेंगे. यह पैसे दान के जरिए इकट्ठे किए जाएंगे. क्नूट के बाद पिछले साल विश्व फुटबॉल कप के दौरान मैचों के बारे में बताने वाले पॉल ऑक्टोपस की भी मौत हो गई. पॉल जर्मनी में पूरी तरह छा गया और फेसबुक पर अंगेला मैर्केल के मुकाबले उसके तीन गुना ज्यादा फैंस थे.
रिपोर्टः एएफपी/एमजी
संपादनः एन रंजन