पोलैंड में होगा प्रवासन के मुद्दे पर रेफरेंडम
१८ अगस्त २०२३पोलैंड में इस साल संसदीय चुनाव होने हैं जिसके साथ ही प्रवासन के मुद्दे पर रेफरेंडम करवाने पर सहमति बन गई है. गुरुवार को संसद में पारित एक प्रस्ताव में यह फैसला लिया गया.
सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी दल लॉ ऐंड जस्टिस पार्टी(पीआईएस) चार मुद्दों पर जनता की राय चाहती है. इनमें शामिल हैं- सरकारी कंपनियों का निजीकरण, रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना, बेलारूस सीमा पर बाड़ लगाना और यूरोपीय संघ समझौते के तहत प्रवासियोंको यूरोप में पनाह देना.
चुनावों पर निगाहें
विपक्ष का कहना है कि पीआईएस चुनावों में हेरफेर करना चाहती है. रेफरेंडम करवाने की सरकारी कोशिशों की आलोचना करते हुए विपक्ष ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी सरकारी पैसे को ऐसे कैंपेन में खर्च करने की फिराक में है जिसका मकसद अपने समर्थक बढ़ाना और विरोधियों को छवि खराब करना है.
देश में जारी माहौल को देखते हुए, विपक्ष का यह भी कहना है कि सरकार इस वक्त बेहद गंभीर मुद्दों पर रेफरेंडम की बात करके आगामी चुनावों के नतीजों में हेरफेर करना चाहती है.
दूसरी ओर, सरकारी प्रवक्ता ने कहा, जो सवाल उठाए जा रहे हैं वह देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए अहम हैं. संसद में जिस प्रस्ताव पर रेफरेंडम हुआ, उसके मुताबिक आम चुनाव के साथ ही 15 अक्तूबर को रेफरेंडम करवाने की बात रखी गई. इस प्रस्ताव को 210 के मुकाबले 234 वोट से पास किया गया.
चार अहम सवाल
पीआईएस अपने वोटरों को चार मुख्य मुद्दों पर एकजुट करने की कोशिश में है. रेफरेंडम में लोगों को चार सवालों के जवाब देने होंगे. पहला, क्या वह सरकारी फर्मों की बिक्री के समर्थक हैं? क्या देश में रिटायरमेंट की उम्र बढ़नी चाहिए ? क्या रूस के सहयोगी बेलारूस के साथ सटे बॉर्डर पर बाड़ लगनी चाहिए? और आखिरी सवाल है कि क्या देश की जनता ईयू डील के तहत रिफ्यूजियों को लेने के लिए तैयार है?
खास बात यह है कि पाआईएस ने रेफरेंडम का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें प्रवासियों को अफ्रीका और मध्य एशिया से आने वाले हजारों अवैध प्रवासी कहा गया है. ड्राफ्ट उनकी आलोचना करते हुए कहता है कि इन्हें यूरोपीय ब्यूरोक्रेसी ने थोपा है.
एसबी/सीके (एपी, एएफपी)