पानी रे पानी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में लगभग 9.7 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मिलता. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त पानी है, लेकिन उसके सही प्रबंधन की जरूरत है.
पीने का पानी
शहरों में, गांवों में हर कहीं पीने का साफ पानी रास्ते पर पानी की टोटियों से मिल सके तो कितना अच्छा हो. लेकिन दुनिया की बड़ी आबादी को साफ पानी मयस्सर नहीं.
अंधाधुंध गंदगी
आर्थिक विकास हो रहा है तो उद्योग बन रहे हैं. लेकिन सरकारी कंट्रोल के अभाव में रासायनिक कचरा झीलों, तालाबों और नदियों में फेंका जा रहा है और पीने के पानी को गंदा कर रहा है.
बोतल का पानी
चीन में पर्यावरण प्रदूषण की हालत इतनी खराब हो गई है भूजल की क्वालिटी बिगड़ रही है, उसमें इतनी गंदगी है कि लोगों को बोतलबंद पानी का सहारा लेना पड़ रहा है.
ट्यूब वेल का सहारा
भारत की तरह बोलिविया में भी पानी की कमी को दूर करने के ले ट्यूब वेल का सहारा लिया जाता है. इससे आने वाला पानी स्वच्छ होगा इसकी गारंटी नहीं.
खारे पानी की सफाई
इंग्लैंड में पानी की कमी को दूर करने के लिए समुद्र के पानी का खारापन दूर करने के संयंत्र लगाए गए हैं ताकि लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जा सके.
टैंकों की मदद
अंगोला में पानी की नियमित सप्लाई नहीं होने के कारण मकानों के ऊपर बड़े बड़े टैंक लगाए जाते हैं जहां पानी जमा कर रखा जाता है.
साफ सफाई का अभाव
विकासशील देशों में अभी भी बहुत से इलाकों में न तो पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही रिहायशी इलाकों में साफ सफाई की व्यवस्था है.
जल रही है धरती
भारत में भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पानी का स्तर लगातार नीचे जा रहा है और रेगिस्तान के फैलाव का खतरा पैदा हो गया है.
बढ़ते स्लम
नौकरी की तलाश में गांवों के लोग शहरों का रुख कर रहे हैं जहां अनाधिकृत कालोनियां और झुग्गियां पनप रही हैं. लोग पानी की पाइपों के करीब घर बनाकर रह रहे हैं.