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पाकिस्तान के एकलौते एशियाई हाथी की दुख भरी दास्तान

४ सितम्बर २०२०

35-वर्षीय कावन को इस्लामाबाद के बदहाल चिड़िया घर से निकाल कर कम्बोडिया ले जाया जाना है, लेकिन उससे पहले उसके व्यापक परीक्षण की जरूरत है.

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Pakistan Islamabad Zoo 2020 | Elefant Kaavan
तस्वीर: AFP/A. Qureshi

मन को शांत करने वाले फ्रैंक सिनात्रा के गीत शुक्रवार को पाकिस्तान के एकलौते एशियाई हाथी के परीक्षण में डॉक्टरों के काम आए. कावन एक भारी भरकम नर हाथी है जिसकी दुर्दशा इस्लामाबाद के चिड़िया घर की बदहाली को पूरी दुनिया के सामने ले आई थी. इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई थी. चिड़िया घर में हालात इतने खराब हैं कि मई में एक जज ने वहां से सारे जानवरों को कहीं और ले जाने का आदेश दे दिया था. 

हाई कोर्ट के आदेश के बाद, ऑस्ट्रिया-स्थित पशु कल्याण समूह फोर पॉज इंटरनेशनल को कावन के साथ साथ दो भालुओं और तीन भेड़ियों को कहीं और पहुंचाने के लिए चुना गया. जानी मानी अमेरिकी गायिका शेर ने भी कावन के हालात पर चिंता जताई थी जिससे इस मामले को काफी मदद मिली.

कावन को कम्बोडिया के एक वन्य-जीव अभ्यारण्य तक ले जाने के पहले उसके लिए एक बड़ी सी क्रेट बनानी होगी और उसे उसमें रहने की आदत डलवानी होगी. संभवतः उसे एक भीमकाय एंटोनोव एएन-225 कार्गो विमान में ले जाया जाएगा. लेकिन उससे पहले विशेषज्ञों को यह मालूम करना है कि कावन किस अवस्था में है. पिछली बार उसका परीक्षण 2016 में हुआ था.

Pakistan Islamabad Zoo 2016 | Elefant Kaavan
कावन को श्रीलंका ने 1985 में तोहफे के रूप में पाकिस्तान को दिया था. उसे 28 सालों तक जंजीरों से बांध के रखा गया.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed

रोटियों और केलों से भरे हुए एक टब की मदद से फोर पॉज के जानवरों के डॉक्टर आमिर खलील कावन को उसके नहाने के कॉन्क्रीट के तालाब में ले आए. तालाब से पानी निकाल दिया गया था. कावन के वहां आ जाने के बाद मुख्य डॉक्टर फ्रैंक गोरित्ज ने एक ट्रैंक्विलाइजर पिस्तौल से तीन बड़े डार्ट उसके कंधे में दागे. कावन को इतने करीब से मानव संपर्क की आदत नहीं है और ऐसे में वो जब थोड़ा परेशान होने लगा तो खलील सिनात्रा का क्लासिक गीत "माई वे" गाने लगे. गाने सुन कर हाथी कुछ शांत हुआ और रोटियां खाने लगा. 

जब ट्रैंक्विलाइजरों का असर हुआ तब खलील और गोरित्ज ने कावन का आकार नापा, खून के सैंपल लिए और उसके बाएं कान में एक माइक्रोचिप डाल दी. गोरित्ज ने उसके नाखूनों की तरफ इशारा किया जिनमें दरारें पड़ गई हैं और जिनका इलाज करना पड़ेगा. वो कहते हैं, "वैसे तो वो ठीक है...लेकिन उसका वजन बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है और उसके पैरों की हालत बहुत खराब है."

गोरित्ज ने बताया कि कावन रोज करीब 200 किलो गन्ना खा जाता है और कोई दिमागी कसरत ना होने की वजह से वो घंटों तक अपने सिर और अपनी सूंड को बस एक तरफ से दूसरी तरफ तक झुलाता रहता है. वो कहते हैं, "वो बोर हो गया है. उसे निश्चित रूप से शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के जरूरत है."

कावन को श्रीलंका ने 1985 में तोहफे के रूप में पाकिस्तान को दिया था. लेकिन कुछ साल पहले कैलिफॉर्निया के एक जानवरों के डॉक्टर समर खान ने अपनी इस्लामाबाद यात्रा के दौरान उसे उसके बाड़े में जंजीरों से बंधा हुआ देखा. उन्होंने इंटरनेट पर एक याचिका की शुरुआत की जिसने अमेरिकी पॉप आइकॉन शेर का ध्यान भी खींचा. 

Pakistan Islamabad Zoo 2016 | Elefant Kaavan
कावन रोज करीब 200 किलो गन्ना खा जाता है और कोई दिमागी कसरत ना होने की वजह से वो घंटों तक अपने सिर और अपनी सूंड को बस एक तरफ से दूसरी तरफ तक झुलाता रहता है.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed

खान ने एएफपी को बताया, "मैं यह जान कर स्तब्ध रह गई कि वो 28 सालों से जंजीरों से बंधा हुआ था." 1990 में श्रीलंका से ही आई कावन की पार्टनर सहेली की 2012 में गैंग्रीन से मृत्यु हो गई थी. उम्मीद की जा रही है कि जब कावन को कम्बोडिया पहुंचा दिया जाएगा तब वहां वो फिर से कोई पार्टनर ढूंढ पाएगा.

मई में आया अदालत का फैसला स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों का नतीजा था. शुरूआती आदेश के अनुसार तो कावन को 30 दिनों के अंदर ही चिड़िया घर से निकालना था. हालांकि उस समय सीमा को अब आगे बढ़ा दिया गया है.

चिड़िया घर में अब कुछ की जानवर रह गए हैं, लेकिन कुछ जानवरों को वहां से निकालने के लिए किए गए वहां के स्थानीय कर्मचारियों के प्रयास दुखद रहे हैं. उनमें से कइयों को कभी भी पशुओं की देखभाल का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. दो शेर और दो ऑस्ट्रिच या तो पुनर्स्थापित होने के रास्ते में ही या होने के कुछ ही दिन बाद मर गए. एक बार एक शेर को उसके बाड़े से बाहर निकालने के लिए कर्मचारियों ने फूस की बल्लियों को आग लगा दी थी.

सीके/आरपी (एएफपी)

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