पश्चिम के खिलाफ धर्म का पत्ता फेंकते एर्दोवान
६ जनवरी २०१८तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने अमेरिका और इस्राएल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे ईरान और पाकिस्तान में दखल दे रहे हैं. ईरान में सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई और राष्ट्रपति हसन रोहानी के खिलाफ 28 दिसंबर से प्रदर्शन हो रहे हैं. छोटे शहरों और देहातों में हो रहे प्रदर्शनों में अब तक 21 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. महंगाई के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों में अब दूसरे मुद्दे भी उछल रहे हैं.
तुर्क राष्ट्रपति एर्दोवान ने कहा, "हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि कुछ देश- खासतौर पर अमेरिका और इस्राएल ईरान और पाकिस्तान के अंदरुनी मामलों में दखल दें." फ्रांस के दौरे पर जाने से ठीक पहले तुर्क राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि, "इन देशों में लोगों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है. यह शर्मनाक है कि हम ऐसा कई देशों के साथ होते हुए पहले भी देख चुके हैं...हमने यह इराक में भी देखा."
एर्दोवान ने आरोप लगाते समय यह नहीं बताया कि अमेरिका और इस्राएल पाकिस्तान के भीतरी मामलों में किस तरह की दखलंदाजी कर रहे हैं. अमेरिका ने कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद और सैन्य सहायता रोक दी. अमेरिका का आरोप है कि पाकिस्तान ने बीते 15 साल में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका को गुमराह किया. अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के कुछ दूसरे धड़ों को समर्थन देता है. अफगानिस्तान में ये गुट अमेरिकी सेना पर कई बड़े हमले कर चुके हैं.
खुद को मुस्लिम जगत के सबसे बड़े नेता के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहे एर्दोवान ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने सीरिया, फलीस्तीन, मिस्र, लीबिया और ट्यूनीशिया में दखल दिया. उन्होंने सूडान और चाड का जिक्र भी किया. धर्म का कार्ड खेलते हुए एर्दोवान ने कहा, "कुछ देशों में खेल खेला जा रहा है."
ईरान में जारी प्रदर्शनों के बीच बुधवार को एर्दोवान ने हसन रोहानी से टेलिफोन पर बात भी की. तुर्क राष्ट्रपति ने ईरान को भरोसा दिलाया कि उनका देश तेहरान के समर्थन में खड़ा रहेगा. तुर्की के इस फैसले से कई हलकों में हैरानी है. एर्दोवान पहले कई बार ईरान पर मध्य पूर्व में "फारसी साम्राज्यवाद" फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं. दोनों देशों के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे.
लेकिन सीरिया संकट के दौरान तुर्की और ईरान करीब आने लगे. रूस के सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में आते ही तुर्की ने भी रूस के साथ रिश्ते मजबूत करने शुरू कर दिए. कई दशकों से नाटो का सदस्य रहा तुर्की पहले हमेशा रूस के खिलाफ खड़ा नजर आता था. लेकिन हाल के समय में ये रिश्ते भी बदले हैं.
इस बीच अमेरिका ने भी तुर्की के कुछ पेंच कसे हैं. गुरुवार को अमेरिका की एक अदालत में तुर्की के एक बड़े सरकारी बैंकर को दोषी करार दिया. अमेरिकी ज्यूरी ने हाल्कबैंक के एक्जीक्यूटिव को ईरान पर लगे प्रतिबंधों को तोड़ते हुए लेनदेन करने का दोषी करार दिया. तुर्की ने झूठे सबूतों के आधार पर मुकदमा चलाने का आरोप लगाया है. तुर्क राष्ट्रपति ने कहा है कि, "अगर न्याय के प्रति अमेरिका की यही समझ है तो दुनिया डूब चुकी है." एर्दोवान ने अमेरिका और तुर्की के रिश्तों की फिर से समीक्षा करने का एलान भी किया.
कभी तुर्की इस्राएल, अमेरिका और यूरोपीय संघ का घनिष्ठ मित्र था. लेकिन हाल के सालों में तुर्की के इन सबसे रिश्ते खराब हुए हैं. यूरोपीय संघ में जर्मनी जैसे बड़े देश के साथ तुर्की के रिश्ते रसातल पर जा चुके हैं. 2016 में तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोवान के तख्तापलट की कोशिश हुई. तख्तापलट की उस कोशिश के बाद ही एर्दोवान बदले बदले नजर आ रहे हैं. वह या उनके मंत्री आए दिन जर्मनी, अमेरिका या इस्राएल पर आरोप लगाते हैं. अब सवाल यह है कि क्या एर्दोवान इस खेल में वह हासिल कर पाएंगे जो वो चाहते हैं, या फिर उनका सामना किसी अप्रत्याशित नतीजे से होगा?
(तुर्की में तख्तापलट की कोशिश)
ओएसजे/एके (एएफपी, रॉयटर्स)