नए डिजिटल मीडिया नियमों से आंशिक राहत
१७ अगस्त २०२१इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 के नियम 9(1) और 9(3) पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि दोनों नियम अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं और ये सरकार की कानून बनाने की शक्ति के परे हैं.
दोनों नियमों के तहत इंटरनेट पर समाचार प्रकाशित करने वालों को सरकार द्वारा तय की गई एक नीति-सहिंता या कोड ऑफ एथिक्स का पालन करना अनिवार्य था. इसके अलावा इनके तहत एक तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली बनाने की भी आदेश दिया गया था जिसकी अध्यक्षता सरकार के ही हाथ में होगी.
किसने दी थी चुनौती
पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने इन नियमों की कड़ी आलोचना की थी और कइयों ने नए नियमों के खिलाफ अलग अलग अदालतों में मामला दर्ज कर दिया था. बॉम्बे हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराया था 'द लीफलेट' वेबसाइट चलाने वाली कंपनी और वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने.
इनका कहना था कि ये नियम 'ड्रैकोनियन' हैं, मनमाने हैं, कानून बनाने की सरकार के शक्ति के परे हैं और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. इन अपीलों पर सुनवाई करने के बाद अदालत ने इन दलीलों को सही मना और इन दोनों नियमों पर रोक लगा दी.
जानकारों का कहना है कि चूंकि ये नियम केंद्र सरकार ने लागू किए थे, ये फैसला सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं पूरे देश में लागू होगा. नीति-संहिता अब देश में कहीं पर भी लागू नहीं की जा सकती है.
असहमति का महत्व
फैसला देते समय अदालत ने यह भी कहा कि पत्रकारों के लिए आचरण के मानक भारतीय प्रेस परिषद् ने पहले से तय किए हुए हैं, लेकिन ये मानक नैतिक हैं, वैधानिक नहीं. अदालत ने यह भी कहा कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत प्रोग्राम कोड सिर्फ केबल सेवाओं के विनियमन के लिए है, इंटरनेट पर लेखकों/संपादकों/प्रकाशकों के लिए नहीं.
फैसला देते समय अदालत ने लोकतंत्र में असहमति की जरूरत पर टिप्पणी भी की. अदालत ने कहा,"देश के सही प्रशासन के लिए जन सेवकों के लिए आलोचना का सामना करना स्वास्थ्यप्रद है, लेकिन 2021 के नियमों की वजह से किसी को भी इनकी आलोचना करने के बारे में दो बार सोचना पड़ेगा."
अदालत ने नीति-संहिता को डैमोकलीस की तलवार बताते हुए यह भी कहा कि उसकी वजह से इंटरनेट पर सामग्री का ऐसा विनियमन होगा जिससे लोगों की सोचने की आजादी छिन जाएगी और उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करने में भी घुटन महसूस होगी.
हालांकि यह फैसला नए डिजिटल मीडिया नियमों को चुनौती देने वालों के लिए आंशिक जीत है. इन दो नियमों के अलावा अदालत ने नियम 14 और 16 का भी निरीक्षण किया और अभी के लिए इन पर रोक नहीं लगाई. याचिका पर अंतिम सुनवाई 27 सितंबर को होगी.