46 करोड़ बच्चे नहीं जुड़ पा रहे वर्चुअल कक्षाओं से
२७ अगस्त २०२०संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 महामारी और स्कूलों के व्यापक तौर पर बंद होने से दुनिया में जितने बच्चे प्रभावित हुए हैं उनमें से कम से कम एक-तिहाई बच्चों तक वर्चुअल शिक्षा पहुंच नहीं पा रही है. यूनिसेफ के इस अध्ययन से अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरी दुनिया में करीब 46.3 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जिनके पास दूर से शिक्षा ग्रहण करने के लिए या तो उपकरण नहीं है या इलेक्ट्रॉनिक पहुंच नहीं है.
संस्था के कार्यपालक निदेशक हेनरीएटा फोर ने एक बयान में कहा, "ऐसे बच्चे जिनकी शिक्षा महीनों तक पूरी तरह से बाधित हो गई थी उनकी अगर कुल संख्या देखें तो ये शिक्षा का एक वैश्विक आपातकाल लगता है. इसके नतीजे समाजों में और अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले दशकों तक महसूस हो सकते हैं." संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि महामारी की वजह से जो तालाबंदी लगी और स्कूल बंद हुए उस से दुनिया में करीब डेढ़ अरब बच्चे प्रभावित हुए हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट में दूर से मिलने वाली शिक्षा तक पहुंच पाने में बच्चों के बीच भौगोलिक अंतर को भी रेखांकित किया गया है. उदाहरण के तौर पर अफ्रीका या एशिया के कुछ हिस्सों के मुकाबले यूरोप में काफी कम बच्चे प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट लगभग 100 देशों से लिए गए डाटा पर आधारित है. इस डाटा इंटरनेट, टीवी और रेडियो तक लोगों की पहुंच को मापा गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है कि वो बच्चे जिनके पास ये साधन हैं उन्हें दूसरी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा होगा, जैसे घर पर पढ़ने की एक अच्छी जगह, परिवार के लिए दूसरे काम करने का दबाव, या कंप्यूटर के खराब हो जाने पर तकनीकी सपोर्ट का ना मिलना.
रिपोर्ट के मुताबिक, जो बच्चे वर्चुअल शिक्षा नहीं ग्रहण पा रहे हैं, उनमें 6.7 करोड़ पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में हैं, 5.4 करोड़ पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में हैं, आठ करोड़ प्रशांत और पूर्वी एशिया में हैं, 3.7 करोड़ मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में हैं, 14.7 करोड़ दक्षिण एशिया में हैं, 1.3 करोड़ लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में हैं. अमेरिका और कनाडा के लिए आंकड़े नहीं दिए गए.
कई देशों में स्कूलों का नया साल शुरू होने वाला है और कई जगहों पर कक्षाएं भी शुरू होने वाली हैं. इसे देखते हुए यूनिसेफ ने सरकारों को कहा है कि वे "तालाबंदी के प्रतिबंधों में ढील देते समय स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता दें." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जहां भी स्कूलों को फिर से खोलना संभव ना हो, वहां सरकारें "खोए समय की भरपाई के लिए अतिरिक्त शिक्षा" का इंतजाम करें.
सीके/एए (एएफपी)
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