दुनिया बदलता चीन का मीडिया
२७ मार्च २०१९दुनिया भर की प्रेस स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स विथऑउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने अपने रिपोर्ट में चीन की रणनीति पर कुछ सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सक्रिय रूप से ऐसी विश्व व्यवस्था बनाने की कोशिश में है जहां पत्रकारों की भूमिका "सरकारी प्रचार में सहायक" से ज्यादा कुछ नहीं होगी.
चीन में मीडिया आजाद नहीं है लेकिन अब चीनी रणनीति दुनिया के लिए खतरा बन सकती है. आरएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में प्रेस पर लगाई गई रोक ने अब दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों के लिए प्रत्यक्ष रूप से खतरा पैदा कर दिया है. चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले टीवी प्रसारण में निवेश कर रहा है, विदेशी मीडिया संस्थानों में पैसा लगा रहा है, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में विज्ञापनों के लिए अरबों डॉलर झोंक रहा है.
साथ ही साथ विदेशी पत्रकारों को सरकारी खर्च पर चीन की यात्रा करवाई जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है वैश्विक स्तर पर मीडिया क्षेत्र में ये चीनी कदम न केवल प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा हैं बल्कि लोकतंत्र को भी प्रभावित कर रहे हैं. आरएसएफ ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लोकतंत्र, वैश्विक मूल्यों, मानवाधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता का शत्रु कहा है.
दुनिया भर में विस्तार
आरएसएफ का कहना है कि चीन पश्चिमी ताकतों का प्रभाव कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को अपने तरीके से दुनिया को परोस रहा है. रिपोर्ट में चीन के सरकारी मीडिया नेटवर्क चीन ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (सीजीटीएन) और चाइना रेडियो इंटरनेशनल के वैश्विक विस्तार के आंकड़ें भी पेश किए गए हैं.
इन आंकड़ों के मुताबिक सीजीटीएन कंपनी का प्रसारण दुनिया की 140 भाषाओं में किया जाता है. इसमें भी अफ्रीका को ध्यान में रखकर कई कार्यक्रम तैयार किए गए हैं. इसके साथ ही चीनी कंपनी हुआवे अफ्रीका में टेलीकम्युनिकेशन ढांचे को खड़ा कर रही है. आरएसएफ कहता है कि सीजीटीएन का कुल एक मकसद है और वो ये कि अफ्रीकी महाद्वीप में चीन के द्वारा किए जा रहे कामों से दुनिया के सामने ऐसे पेश करना कि बीजिंग की अच्छी छवि बने.
ताइवान की नेशनल चीनीची यूनिवर्सिटी में अंतराष्ट्रीय संबंधों पर शोध कर रहे शोधकर्ता चेंशन यान ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "सीजीटीएन पर प्रसारित होने वाली सामग्री अब सिर्फ चीन और अफ्रीका से जुड़ी नहीं रह गई है, बल्कि चीन असली कंटेट बनाने के लिए बहुत काम कर रहा है." चेंशन यान कहते हैं कि इससे साफ है भविष्य में चीन, अफ्रीका पर होने वाली अंतरराष्ट्रीय बहसों की रहनुमाई करेगा.
चीन की टॉजन हॉर्स पॉलिसी
चीन ना केवल सीजीटीएन के जरिए दुनिया में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है, बल्कि वह पश्चिमी मीडिया का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहा है. आरएसएफ के मुताबिक चीन अपनी प्रचार सामग्री को "चाइना वॉच" के नाम से अंग्रेजी में पश्चिमी मीडिया को मुफ्त देता है. यह प्रचार सामग्री चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली तैयार करता है और इस रणनीति को नाम दिया गया है "टॉजन हॉर्स पॉलिसी." यह नीति चीनी प्रोपेगेंडा को उच्च वर्ग के बैठकखानों में जाने का रास्ता देती है.
आरएसएफ ने बताया कि चाइना वॉच दुनिया के 30 अंतरराष्ट्रीय अखबारों के साथ मुफ्त दिया जाता है. इसमें वॉशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जनरल, द डेली टेलीग्राफ जैसे अखबार प्रमुख हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस मुफ्त सप्लीमेंट की तकरीबन 1.3 करोड़ कॉपी अखबारों के साथ जाती हैं. रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि विदेशी मीडिया चीनी प्रचार में मददगार साबित हो रही है. वहीं दुनिया में अच्छी छवि गढ़ने के लिए चीन दुनिया भर से पत्रकारों को विदेश यात्रा और सेमीनारों के लिए निमंत्रण भी देता है.
एक पुरस्कृत पत्रकार और मेलबर्न के सेंटर ऑफ एडवांसिग जर्नलिज्म के वरिष्ठ लेक्चरर लुईसा लिम ने डीडब्ल्यू को बताया, "चीन की रणनीति विदेशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक समन्वित कदम का प्रतिनिधित्व करती है वह भी तब जब पश्चिमी समाचार आउटलेट पैसे की कमी से जूझ रहे हैं." उन्होंने कहा कि चीन फ्री प्रेस की चुनौतियों को अच्छे से भुना रहा है, वहीं विदेशी मीडिया हाउस भी चीन में अपने पत्रकारों को भेज कर उसकी सेंसरशिप को स्वीकार करने के पक्ष में हैं.
वैश्विक मीडिया व्यवस्था को फिर से परिभाषित करने के चीन के बढ़ते प्रयास के बीच, लिम का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अहम है कि वह चीन की समाचार की परिभाषा और मीडिया विस्तार को अच्छे से समझे. उन्होंने कहा कि चीनी मीडिया की प्रचार सामग्री को जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया अपने साथ जगह देती है तो इससे लगता है कि पश्चिमी मीडिया चीनी प्रोपेंगेंडा को अपनी स्वीकृति दे रहा है.
रिपोर्ट-मानसी गोपालकृष्णन