दलाई लामा ताइवान में, चीन नाराज़
३१ अगस्त २००९दलाई लामा जब ताइवान के सायोलिन गांव पहुंचे, तो उन्होंने घुटने टेक कर मारे गए लोगों के लिए प्रार्थना की. मोराकूट तूफ़ान के बाद इस गांव में लगभग पांच सौ लोग दलदली आंधी में ज़िन्दा दब गए थे. इधर दलाई लामा प्रार्थना में जुटे थे, उधर पड़ोसी देश चीन उन्हें कोसने में लगा था. चीन ने फिर कहा कि उनकी इस यात्रा से चीन और ताइवान के रिश्ते ख़राब होंगे.
चीन, ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है और यहां मा इंग ज्यू के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों पक्षों के रिश्ते बेहतर हुए हैं. लेकिन दलाई लामा की यात्रा से इन पर असर पड़ सकता है. हालांकि दलाई लामा इस दौरे को पूरी तरह मानवीय मामलों से जुड़ा बता रहे हैं. ताइवान पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि मैं एक भिक्षु हूं और मुझसे प्रार्थना करने को कहा गया. यह मानवीय दौरा है और इसमें कोई राजनीति नहीं है.
ताइवान के कुछ नेताओं ने पिछले हफ़्ते दलाई लामा से अनुरोध किया कि वह आकर तूफ़ान में मारे गए लोगों के लिए प्रार्थना करें. अगस्त में ताइवान में मोराकोट तूफ़ान से लगभग सात सौ लोगों की जान चली गई थी. राष्ट्रपति मा पर आरोप लगे कि उन्होंने इससे निपटने के लिए सही क़दम नहीं उठाए.
चीन समझता है कि दलाई लामा ताइवान में आज़ादी समर्थक नेताओं से मिल कर तिब्बत की आज़ादी के लिए समर्थन हासिल करना चाहते हैं. दलाई लामा कई बार कह चुके हैं कि वह तिब्बत को चीन से अलग नहीं करना चाहते, बल्कि ज़्यादा अधिकार चाहते हैं. लगभग पचास साल पहले वह तिब्बत से निर्वासित हुए, जिसके बाद से भारत में रह रहे हैं.
दलाई लामा शुक्रवार तक ताइवान में रहेंगे. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह नेताओं से मिलेंगे, तो उन्होंने कहा कि वह किसी के लिए मुश्किल नहीं खड़ा करना चाहते.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए जमाल
संपादन: महेश झा