दलाई लामा की 75 वीं सालगिरह
६ जुलाई २०१०सिर्फ दो साल की उम्र में तेनजिन ग्यात्सो को दलाई लामा मान लिया गया था और 1937 से ही वह तिब्बतियों के सबसे बड़े धार्मिक गुरु हैं. उनके 75वें जन्मदिन के अवसर पर तिब्बतियों ने बड़े आयोजन का एलान कर रखा है. भारत में धर्मशाला और दूसरी जगहों पर तिब्बती समुदाय के लोग इस मौके पर खास प्रार्थना कर रहे हैं और दलाई लामा तथा तिब्बती समुदाय से जुड़ी फोटो प्रदर्शनी लगाई जा रही है.
इस उम्र में भी दलाई लामा पूरी दुनिया में घूमते हैं और वह पहले दलाई लामा हैं, जिन्होंने पश्चिमी देशों के साथ नजदीकियां बढ़ाई हैं. हालांकि इसकी एक वजह चीन के साथ उनका जगजाहिर झगड़ा भी है. चीन को दलाई लामा फूटी आंख नहीं सुहाते हैं और उसका कहना है कि तिब्बत और तिब्बतियों की समस्या की जड़ खुद दलाई लामा ही हैं. चीन का दावा है कि लामा तिब्बत को उससे अलग करने की साजिश रच रहे हैं, जबकि दलाई लामा कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह तो सिर्फ ज्यादा अधिकार और स्वायत्तता की मांग करते हैं.
चीन से झगड़े के बीच 1954 में दलाई लामा ने बीजिंग जाकर माओ जेतुंग, डेन जियापिंग और दूसरे चीनी नेताओं से बातचीत की कोशिश की थी. लेकिन उनकी कोशिश कामयाब नहीं हो पाई और वह तिब्बत की राजधानी ल्हासा लौट आए. बाद में 1959 तक चीनी सेना ने ल्हासा और तिब्बत के दूसरे इलाकों पर कब्जा कर लिया. तब दलाई लामा ने ल्हासा छोड़ दिया और पहाड़ों के रास्ते भारत पहुंच गए.
तभी से वह अपने हजारों समर्थकों के साथ हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं. वहां उन्होंने तिब्बतियों की निर्वासित सरकार भी बना रखी है. दलाई लामा सरकार प्रमुख होने के साथ साथ धार्मिक गुरु भी हैं.
दलाई लामा को पनाह देने की वजह से चीन और भारत में भी काफी रंजिश हुई है. चीन का मानना है कि दलाई लामा की वजह से ही तिब्बत की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि दलाई लामा भारत में रह सकते हैं. दलाई लामा जिस देश भी जाते हैं, चीन उसकी निंदा करता है. वह पश्चिमी जगत पर आरोप लगाता आया है कि वे दलाई लामा के साथ बातचीत करके उसे ठेस पहुंचाते हैं.
इस बीच दलाई लामा को 1989 में अहिंसक संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. वह 65 मुल्कों का दौरा कर चुके हैं और 70 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं. वैसे उन पर भी सैकड़ों किताबें लिखी जा चुकी हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह