"तो किसान खेती छोड़ सकते हैं"
७ अक्टूबर २०१८रायथू नेस्थम सालाना पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए भारतीय उपराष्ट्रपति ने कृषि का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ कृषि लागत कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
नायडू ने कहा कि उर्वरकों, कीटनाशकों, बिजली और पानी के अंधाधुंध उपयोग पर भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि देश में लाभकारी खेती पर व्यापक विमर्श की जरूरत है. वैज्ञानिकों को अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुसंधान के परिणाम (प्रयोगशाला से भूमि तक) सीधे किसानों तक पहुंचे.
उपराष्ट्रपति ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर द्वारा परिवर्तित शून्य बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की सलाह दी. उन्होंने कहा, "इससे कृषि लागत में कमी लाने में मदद मिलेगी और किसानों को एक स्थिर आय उपलब्ध कराने में यह सहायक होगी. साथ ही, कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से उपभोक्ताओं को बचाया जा सकेगा।"
उन्होंने कहा कि सामान्य खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती के लिए सिर्फ 10 प्रतिशत पानी और बिजली की आवश्यकता होगी. उपराष्ट्रपति ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि से संबंधित कार्यकलापों की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि एक अध्ययन से यह प्रकाश में आया है कि ऐसे किसानों ने आत्महत्या नहीं की है जो कुक्कुट पालन, दुग्ध उत्पादन और मछली पालन जैसे संबंधित कार्यकलापों से जुड़ रहे हैं.
(जीन संवर्धित कपास से वैसे तो किसानों को धनी होना था लेकिन इसने उनकी जान ले ली.)
आईएएनएस