ताइवान जा सकते हैं दलाई लामा
२८ अगस्त २००९ताइवान सरकार ने गुरुवार को कहा कि तूफ़ान से प्रभावित लोगों से मिलने के लिए उसने तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा को देश में आने की अनुमति दी है. चीन दलाई लामा की विदेश यात्राओं की कड़ी आलोचना करता रहा है. लेकिन फिलहाल चीन ने ताइवान के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. तिब्बत के धर्मगुरु निर्वासन में भारत में रह रहे हैं.
ताइवान के राष्ट्रपति मा यिंग येऊ ने कहा "हमने तय किया है कि दलाई लामा ताइवान की यात्रा पर आएं क्योंकि वे पिछले दिनों आए मोराकोत तूफ़ान में हताहत लोगों के लिये प्रार्थना करना चाहते हैं और प्रभावित लोगों से मिलना चाहते हैं."
ताइवान के सूचना कार्यालय ने कहा है कि सरकार ने तय किया है कि दलाई लामा की 31 अगस्त से 3 नवंबर तक की यात्रा को अनुमति दी जाएगी. ताइपेई में तिब्बत की निर्वासित संसद के एक सदस्य का कहना है, "बहुत लंबे समय के बाद राष्ट्रपति मा ने ये अच्छा कदम लिया है. अगर वे दलाई लामा को नहीं आने देते तो उसकी कड़ी प्रतिक्रिया होती."
रॉयटर्स समाचार एजेंसी का कहना है कि चीन की प्रतिक्रिया जैसी भी हो लेकिन वह ताइवान के साथ द्विपक्षीय संबंध, निवेश और लोगों की आवाजाही पर प्रभाव पड़े ऐसा, कोई कदम नहीं उठाएगा.
उत्तर भारत के धर्मशाला शहर में तिब्बत की निर्वासित संसद है. संसद के प्रतिनिधि तेंज़िन ताकल्हा ने कहा कि "तूफ़ान के तुरंत बाद दलाई लामा ने शोक संदेश भेजा था. इस ताइवान यात्रा का उद्देश्य तूफ़ान से प्रभावित लोगों से मिलना और मारे गए लोगों के परिजनों को सांत्वना देना है."
दक्षिणी ताइवान में 7 से 9 अगस्त के बीच आए चक्रवाती तूफ़ान में कीचड़ धंसने के कारण 700 लोगों के मारे जाने के समाचार थे. ताइवान की सत्ताधारी पार्टी केएमटी के महासचिव वू डेन यी का कहना है कि पेइचिंग को दलाई लामा के आने की सूचना शायद पसंद न आए लेकिन "अगर वे ये समझते हैं कि यह दुर्घटना कितनी गंभीर है तो शायह वे हम पर थोड़ा ध्यान दें."
ताइवान में बौद्ध धर्म मानने वाले और तिब्बत से निर्वासित कई हज़ार लोग रहते हैं. इससे पहले 1997 और 2001 में ताइवान ने तिब्बतियों के धर्मगुरु को देश में आने की अनुमति दी थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ आभा मोंढे
संपादन: ए जमाल