डच महिला को 24 साल बाद छोड़ना होगा ब्रिटेन
२९ दिसम्बर २०१६ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि डच नागरिक मोनिक हॉकिंस का ब्रिटिश नागरिकता मांगना उसे भारी पड़ा है. ब्रिटिश गृह मंत्रालय ने उसे देश छोड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है. मोनिक हॉकिंस को डर था कि ब्रिटिश नागरिकता के बिना उसे ब्रिटेन आने जाने के दौरान भविष्य में अमेरिकियों वाली दो घंटे की इमीग्रेशन लाइन में लगना होगा, जबकि उसके परिवार के लिए अलग लाइन होगी. गार्डियन का कहना है कि यह मामला उन दिक्कतों की ओर इशारा करता है जो ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने की स्थिति में यूरोपीय नागरिकों को झलनी पड़ सकती है.
ब्रेक्जिट पर हुए जनमत संग्रह के बाद मोनिक हॉकिंस ने ब्रिटेन की नागरिकता लेने की सोची क्योंकि उसका मानना था कि यदि ब्रिटेन सचमुच ईयू छोड़ देता है तो ब्रिटेन में उसके रिहायशी दर्जे पर असर पड़ेगा और उसके अधिकारों में कटौती स्वीकार करनी होगी. ब्रिटेन के कानून के अनुसार ब्रिटिश नागरिकों के विदेशी पार्टनरों को ब्रिटिश नागरिकता पाने का स्वाभाविक अधिकार नहीं होता. नागरिकता पाने के लिए पहले स्थायी रिहायशी परमिट लेना पड़ता है. हॉकिंस ने अपने सारे कागजात संबंधित दफ्तर को भेज दिए लेकिन वह छह महीने की मंजूरी प्रक्रिया के दौरान अपना पासपोर्ट अधिकारियों को सौंपने के लिए तैयार नहीं थी.
कुछ समय पहले हॉकिंस के पिता की मौत हो गई थी और उसे ब्रिटेन और नीदरलैंड्स के बीच आना जाना पड़ रहा था, जिसके लिए उसे पासपोर्ट की जरूरत थी. उसने अधिकारियों को पासपोर्ट की कॉपी दी थी. गृह मंत्रालय ने रिहायशी परमिट की उसकी अर्जी ठुकरा दी और उसे देश छोड़ने की तैयारी करने को कहा है. उसके बाद से हॉकिंस लगातार अधिकारियों से मिलकर मामले को निबटाने की कोशिश कर रही है लेकिन लिखित शिकायत भी नाकाम रही. अंत में उसे बताया गया कि उसकी अर्जी इसलिए ठुकराई गई है कि उसने अपना ऑरीजनल पासपोर्ट अधिकारियों को नहीं सौंपा था. इस बीच मोनिक हॉकिंग ने पर्मानेंट स्टे परमिट के लिए नई अर्जी दी है. उसे उम्मीद है कि उसका मामला ब्रिटेन में गैर ब्रिटिश पार्टनरों के साथ होने वाले भेदभाव को सामने लाएगा.
इसी हफ्ते भारत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 49 साल से देश में रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक के स्थायी वीजा को बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है. आसिफ कराडिया के माता पिता भारतीय हैं. आसिफ का जन्म कराची में हुआ और कुछ ही दिनों बाद उसकी मां उसे लेकर भारत आ गई थी. आसिफ उसके बाद कभी पाकिस्तान नहीं गया है और उसके पास कोई पाकिस्तानी कागजात नहीं हैं. हाईकोर्ट ने इस बात की जांच के भी आदेश दिए हैं कि बिना पासपोर्ट के उसे अबतक वीजा कैसे दिया जाता रहा है.