जैव विविधता का धनी है नन्धौर वन्यजीव अभयारण्य
नन्धौर वन्यजीव अभयारण्य चीन और नेपाल से लगे भारत के उत्तरी प्रांत उत्तराखंड में स्थित है. जैविक प्रजातियों से भरपूर ये अभयारण्य तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है, जो भारत में उत्तराखंड से लेकर नेपाल तक फैला हुआ है.
एक समृद्ध वन्यजीव अभ्यारण्य
हिमालय की तलहटी पर बसा नन्धौर वन्यजीव अभ्यारण्य अपार प्राकृतिक संपदा का खजाना है. करीब 270 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल को 2012 वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी घोषित किया गया.
विशाल घाटी का हिस्सा
नन्धौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी असल में 1000 वर्ग किलोमीटर की विशाल नन्धौर घाटी का एक हिस्सा है. यह घाटी उत्तराखंड के नैनीताल, चम्पावत और उधमसिंह नगर जिलों में फैली है.
वनस्पतियों और वन्यजीवों का बसेरा
नन्धौर वन्यजीव अभ्यारण्य में पशु पक्षियों और वनस्पतियों की सैकड़ों प्रजातियां हैं. यहां 100 से अधिक वनस्पतियां, तीन दर्जन स्तनधारी और पक्षियों की सवा दो सौ प्रजातियां हैं. इस हाथी की तस्वीर जंगल में लगे कैमरा-ट्रैप से ली गई.
सैकड़ों साल पुराने पेड़
नन्धौर के चोरगलिया वन विश्रामगृह के पास लगा बेशकीमती छित्यून (एल्सटोनिया स्कोलेरिस) का यह पेड़ 142 साल पुराना है. इसकी गोलाई (परिधि) 6 मीटर और ऊंचाई 31 मीटर से अधिक है. छित्यून को ब्लैकबोर्ड ट्री भी कहा जाता है. इसकी लकड़ी का इस्तेमाल पैकिंग के डिब्बे बनाने में होता है.
सेंक्चुरी की लाइफ लाइन है ये नदी
इस अभ्यारण्य से होकर जाने वाली नन्धौर नदी पूरी सेंक्चुरी की लाइफ लाइन की तरह है. इसमें गोल्डन महासिर समेत मछलियों की कई प्रजातियां मिलती हैं.
एक विशेष बटरफ्लाई जोन
तितलियां और कीड़े परागण करते हैं जो जैव विविधता के लिये बेहद आवश्यक प्रक्रिया है. इसीलिये इस अभ्यारण्य में एक तितली परिक्षेत्र विकसित किया गया है जहां तितलियों की 80 प्रजातियां हैं.
जंगली जानवरों के लिये जल संचय
वन्य जीवों के संरक्षण के लिए इस तरह के वॉटर होल जरूरी हैं जहां आकर वह अपनी प्यास बुझा सकें. इस वॉटर होल को वन विभाग ने इसी साल बनाया है.
वन देवताओं पर विश्वास
वन देवताओं पर विश्वास जंगल में रहने वाले समुदायों में आम है. नन्धौर सेंक्चुरी के सुमन थापला क्षेत्र में घने जंगलों के बीच बना एक मंदिर.
बियाबान में पुरातन गेस्ट हाउस
उत्तराखंड के जंगलों में आपको उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के फॉरेस्ट गेस्ट हाउस मिलेंगे. घने जंगलों में बसा जौलासाल गेस्ट हाउस सौ साल से भी अधिक पुराना है.
बीहड़ों की रखवाली
ऐसे बीहड़ों की हिफाजत करना आसान काम नहीं. वन विभाग ने निगरानी के लिये अभ्यारण्य में वॉच टावर बना रखे हैं जो 40 फीट से अधिक ऊंचे हैं.
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