जीडीआर के सबसे प्यारे कार्टून सैंडमन का 60वां जन्मदिन
७ नवम्बर २०१९सैंडमन कार्टून के 60वें जन्मदिन पर पोट्सडम फिल्म म्यूजियम में "सैंडमन के साथ टाईम ट्रैवेल" के नाम से नई प्रदर्शनी हो रही है. हालांकि जीडीआर के समय में सैंडमन बच्चों में काफी लोकप्रिय थी, लेकिन नई प्रदर्शनी सिर्फ बच्चों के लिए नहीं है. इसे बनाने वालों का एक और मकसद है: जीडीआर में पले-बढे लोगों को यादों के सफर पर ले जाना. यह प्रदर्शनी 2020 के अंत तक चलेगी. इस कार्टून के लेखक हैं गेरहार्ड बेरेंट.
पूरे जर्मनी में, सैंडमन के लिए बच्चों के दिलों में एक खास जगह है. रोज शाम 7 बजने के ठीक दस मिनट पहले बच्चों को डीडीआर टीवी पर इसका इंतजार रहता था. ये उनके लिए दिन का आखिरी उत्सव होता था. खाना पीना खाकर, सोने के लिए तैयार होकर वे सैंडमन कार्टून देखते और उसके बाद आराम से सो जाते थे. नवंबर 1959 के पहले एपिसोड के अंत में सैंडमन खुद सर्दियों में बाहर जमा बर्फ की चादर पर सो जाता है.उसकी लोकप्रियता का ये आलम था कि चिंता से परेशान हजारों बच्चों ने डीडीआर टीवी को चिट्ठियां लिखी और सैंडमन को अपने घर पर सोने के लिए बुलाया.
इस कार्टून में सैंडमन पूर्व जर्मनी के लोगों की साधारण जिंदगी और इच्छाओं दोनों को ही जीता है. पूर्वी जर्मनी के लोगों के लिए देश के बाहर जाना मुश्किल था, लेकिन सैंडमन उन्हें अफ्रीका, रूस और इराक ले जाता था. सैंडमन को देखकर एक परिवार को इतनी हिम्मत मिली कि वह हॉट एअर बैलून की मदद से दक्षिण जर्मनी भाग गया था. साम्यवादी सरकार ने इसके लिए डीडीआर टीवी को कड़ी चेतावनी दी थी.
पोट्सडम की प्रदर्शनी में स्पेस ट्रैवल, जादुई जंगल और कैरीओके के बाद, सैंडमन के जन्मदिन के केक का मजा लिया जा सकता है. प्रदर्शनी की क्यूरेटर उगला ग्रेफ कहती हैं, "जब मैं सैंडमन की पुरानी कहानियों को देखती हूं, तो पूरा बचपन मेरी आंखों के सामने तस्वीर की तरह उभर आता है."
रिपोर्ट: नेहल जौहरी
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