जलवायु परिवर्तन और कीड़े मकोड़े
ग्लोबल वॉर्मिंग की सोचिए तो उसकी वजह से दुनिया की बहुत सारी प्रजातियों खत्म होने के कगार पर हैं. मसलन बर्फ पिघलने से पोलर भालू को खतरा है. बहुत से छोटे कीड़े मकोड़ों की जान को भी खतरा बना हुआ है.
परागण वाली मक्खियां
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से वह जगह सिकुड़ रही है जहां उत्तर अमेरिका और यूरोप में भौंरे रह सकते हैं. फूलों का परागण करने वाले भौंरे अपने आकार और शरीर के कारण जल्द ही गर्म हो जाते हैं. जिंदा रहने के लिए उन्हें खास पौधों की जरूरत होती है, इसलिए वे कहीं ढंडे इलाके में जा भी नहीं सकते.
मेहनती मक्खियां
भौंरों के विपरीत मधुमक्खियों के गरम माहौल में जिंदा रहने की ज्यादा संभावना होती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन का असर उन पर भी पड़ रहा है. मौसम के गर्म होने के कारण फूल मक्खियों के चखने से पहले ही खिल जा रहे हैं. इसलिए फूलों का रस कम हो जाता है और उन्हें संसाधनों में कमी का सामना करना पड़ता है.
तितलियां
केसरिया सफेद धब्बों वाली तितलियां उत्तरी अमेरिका के प्रशांत तट पर पाई जाती हैं. इनका मुख्य खाना ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जल्द ही पक जाता है और तितलियों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता. वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के पैटर्न का पता करने के लिए अब तितलियों का सहारा ले रहे हैं.
मक्खियां
जैव विविधता केंद्र के अनुसार पहाड़ी मक्खियां साफ पानी के स्रोतों का संकेत देती हैं. यह कीड़ा भी जलवायु परिवर्तन का शिकार हो रहा है. यह पानी की गुणवत्ता के लिए अत्यंत संवेदनशील है और अमेरिकी प्रांत मोंटाना में ग्लेशियर नेशनल पार्क में ग्लेशियरों से गलकर आने वाले पानी पर निर्भर करता है.
टिड्डे
बेदगलारी की झाड़ियों का टिड्डा खत्म होने के खतरे में है, जब से माउंट तहताली पर इसकी आबादी खत्म हो गई है. एकमात्र जीवित प्रजाति 1800 मीटर की ऊंचाई पर रहती है. चूंकि ये टिड्डे उड़ नहीं सकते, वे किसी दूसरी जगह पर रहने के लिए नहीं जा सकते. इन्हें बचाने के लिए कहीं और जाने में इनकी मदद करनी होगी.
खून के प्यासे
जलवायु परिवर्तन का फायदा उठाने वाली प्रजातियां भी हैं. मौसम के गर्म होने की वजह से जानलेवा बीमारियों को ले जाने वाले कीड़ों की आबादी बढ़ रही है. सर्दियों का कम ढंडा होना और कम दिनों तक रहना भी इनकी आबादी को बढ़ने में मदद दे रहा है. अमेरिका में लाइम बीमारी बढ़ रही है.
आक्रामक चींटियां
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से चींटियों की तादाद भी बढ़ रही है. गर्मी को पसंद करने वाली लाल चींटी बहुत ही आक्रामक होती है. वह ऐसे इलाकों में भी फैलती जा रही है, जहां आम तौर पर उन्हें नहीं होना चाहिए क्योंकि मौसम का गर्म होना और इलाकों को उनके रहने लायक बना रहा है.
भूखा सिपाही
हरा खटमल पहले उत्तरी अमेरिका, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के गर्म इलाकों में होता था. कुछ साल पहले वह ब्रिटेन में भी दिखने लगा, जहां आम तौर पर मौसम ढंडा होता है. चूंकि वह हर प्रकार की फसल को चट कर जाता है, वह ब्रिटिश किसानों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है.
खतरनाक मच्छर
एशिया का टाइगर मच्छर पानी के करीब अंडे देता है और चिकनगुनिया और डेंगू जैसे वायरस फैलाता है. पहले वह धरती के दक्षिणी हिस्सों में हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ सालों से उत्तरी हिस्सों पर उसका हमला जारी है जहां जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम गर्म होता जा रहा है.