जर्मनी में शरण मांगने वाले उइगुरों की तादाद दोगुनी हो गई है
२९ नवम्बर २०१९जर्मनी में शरण के लिए आवेदन देने वाले चीन के उइगुर मुसलमानों की संख्या 2016 से ही लगातार बढ़ रही है. जर्मनी के सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि 2019 में पहले 10 महीनों में 149 उइगुरों ने शरण मांगी है. जबकि इसके पहले पूरे साल 2018 में इसके आधे से भी कम उइगुरों ने आवेदन किया था.
जर्मन सरकार का प्रवासी मामलों का मंत्रालय बीएएमएफ आवेदन करने वालों को यह तय करने देता है कि वे अपनी जाति आधारित जानकारी फॉर्म में भरना चाहते हैं या नहीं. इसलिए यह आंकड़ा केवल उन लोगों से जुड़ा है जिन्होंने इस बारे में स्पष्ट जानकारी भरी है और खुद को उइगुर बताया है.
जर्मनी में इस साल अक्टूबर तक कुल 803 चीनी नागरिकों ने शरण के लिए प्राथमिक आवेदन किया. जिन उइगुर लोगों ने जर्मनी में शरण मांगी थी उनमें से करीब 96 फीसदी लोगों का आवेदन स्वीकार भी कर लिया गया और सुरक्षा प्रदान की गई. किसी भी समुदाय विशेष से तुलना की जाए तो उइगुरों को शरण पाने में कहीं ज्यादा सफलता मिली.
हाल ही में "चाइना केबल्स" कहे गए कुछ डॉक्यूमेंट लीक हुए थे जिनसे पता चला कि चीनी सरकार शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों समेत कई जातीय अल्पसंख्यकों को कैंपों में रख रही है. इन कैंपों में 10 लाख से ज्यादा लोगों को रखा गया है और इनमें ज्यादातर मुसलमान हैं. लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक लोगों को यहां जबरन वैचारिक और व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है. इन कैंपों का सारा कामकाज बहुत गोपनीय तरीके से चलता है.
चीन सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं कि वह अल्पसंख्यक मुसलमानों को चीन के रंग ढंग में ढालने के लिए अभियान चला रही है. वहीं चीनी सरकार का कहना है कि ये कैंप दरअसल "वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर" हैं और देश से आतंकवाद एवं अलगाववाद को उखाड़ फेंकने के लिए बेहद जरूरी हैं.
चीन में करीब एक करोड़ उइगुर लोगों के रहने का अनुमान है. इनमें से ज्यादातर चीन के शिनजियांग प्रांत में ही बसे हैं. वे जातीय और सांस्कृतिक रूप से चीनी लोगों से ज्यादा तुर्की के मुसलमानों से जुड़े हैं. उइगुर समुदाय के कई लोग समय समय पर चीन के बहुसंख्यक हान मुसलमानों द्वारा सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से दबाए जाने की शिकायत करते रहे हैं.
आरपी/एनआर (डीपीए)
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