जर्मनी में भी बैन होगा ग्लाइफोसेट
५ सितम्बर २०१९जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय ने 2023 से ग्लाइफोसेट पर पूरी तरह बैन लगाने का एलान कर दिया है. मंत्रालय ने कहा कि अगले साल से ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल को सीमित किया जाने लगेगा.
ग्लाइफोसेट एक घातक रसायन है जो खरपतवार खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल मोनसैंटो कंपनी के राउंडअप कीटनाशक में होता है.
अमेरिका में एक किसान ने मोनसैंटो पर मुकदमा करते हुए कहा कि ग्लाइफोसेट के चलते उसे कैंसर हुआ. अदालत में यह बात साबित हो गई. मार्च 2019 में मोनसैंटो को आठ करोड़ डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया गया. ऐसे ही कई और मामलों पर फिलहाल अमेरिका में सुनवाई हो रही है.
इसकी आंच यूरोप तक भी पहुंच गई है. जुलाई में ऑस्ट्रियाई संसद के निचले सदन ने हर तरह से ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया. अगस्त में फ्रांस के 20 मेयरों ने भी इस रसायन पर बैन लगा दिया.
जर्मनी की दिग्गज फॉर्मासूटिकल कंपनी बायर, मोनसैंटो की अभिभावक कंपनी है. बायर ने जर्मन सरकार के फैसले का विरोध किया है. कंपनी के मुताबिक दुनिया भर में बड़ी वैज्ञानिक समीक्षा के बाद ही 40 साल से ज्यादा समय से सुरक्षित ढंग से ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल हो रहा है.
यूरोपीय संघ में ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल दिसंबर 2022 तक मान्य है. जर्मनी का कहना है कि 2020 से ही ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल कम से कम किया जाएगा. निजी घरों, गार्डनों और सार्वजनिक जगहों पर अभी ही इस्तेमाल बैन है. अब तैयारी की जा रही है कि फसल की बुआई और कटाई के बाद भी इसका इस्तेमाल कसा जाए.
2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लाइफोसेट को लेकर चेतावनी दी थी. डब्ल्यूएचओ इस नतीजे पर पहुंचा था कि ग्लाफोसेट से कैंसर होने की संभावना बनती है. जर्मन कंपनी बायर ने 2018 में अमेरिकी बीज और कीटनाशक कंपनी मोनसैंटो को 63 अरब डॉलर में खरीदा था. अब कंपनी मोनसैंटो के सारे कानूनी मुकदमे झेल रही है.
ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स)
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(प्राकृतिक संसाधनों की विविधता)