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शिक्षाभारत

जर्मन सीखने से मिलेगा भारतीय युवाओं को रोजगार

सोनम मिश्रा
२९ अक्टूबर २०२४

भारत हर साल रोजगार बाजार में आने वाले लाखों युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा करने की समस्या से जूझ रहा है तो जर्मनी कुशल कामगारों की भारी कमी से. अब जर्मनी ने भारत से कुशल कामगार लाने की पहल की है.

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नई दिल्ली के गोएथे इंस्टीट्यूट में 25 अक्टूबर 2024 को अनालेना बेयरबॉक और हुबैरटुस हाइल की भारतीय छात्रों से मुलाकात. तस्वीर में गोएथे इंस्टीट्यूट की क्षेत्रीय जाइरेक्टर मारला श्टुकेनबर्ग भी दिख रही हैं.
जर्मन विदेश मंत्री बेयरबॉक और श्रम मंच्री हाइल नई दिल्ली में भारतीय छात्रों से मिलेतस्वीर: Sonam Mishra/DW

जर्मनी और भारत की हर दो साल पर होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक के प्रमुख मुद्दों में दोनों देशों के कुशल कर्मियों की मोबिलिटी और वीजा का मुद्दा एक प्रमुख मुद्दा था. जर्मनी ने भारत को हर साल 90,000 वीजा देने की पेशकश की है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में भारत गए जर्मन मंत्रियों में जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक और श्रम मंत्री हुबैरटुस हाइल भी शामिल थे. सरकारी बैठकों में से समय निकाल कर बेयरबॉक और हाइल ने जर्मन सीखने वाले छात्रों से मुलाकात की और उनसे उनकी समस्याओं पर बातचीत की.

नई दिल्ली स्थित गोएथे इंस्टीट्यूट वह महत्वपूर्ण संस्थान है जहां जर्मनी में पढ़ने और काम करने के इच्छुक युवा लोग जर्मन सीख सकते हैं और जर्मनी के बारे में जान सकते हैं. विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक और श्रम मंत्री हुबैरटुस हाइल ने छात्रों को माइग्रेशन कानूनों को आसान बनाने की जर्मनी की पहल के बारे में बताया और उनके साथ दोनों देशों के बीच कुशल कामगारों के आदान प्रदान के महत्व पर चर्चा की. जर्मन मंत्रियों ने कहा कि इससे न केवल जर्मनी में कुशल कर्मियों की कमी पूरी हो सकेगी, बल्कि दोनों देशों के संबंध भी मजबूत होंगे.

भारत और जर्मनी के बीच बढ़ती साझेदारी

बेयरबॉक ने छात्रों से कहा कि हम जर्मनी में आपको बहुत सारे रोजगार के अवसर दे सकते हैं.  उन्होंने कहा, "जर्मनी में हर साल 400,000 कुशल श्रमिकों की जरूरत होती है. भारतीय युवाओं के कौशल और उत्साह को देखते हुए यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी है." जर्मनी में पढ़ाई और नौकरी करने के इच्छुक लोगों के लिए नया वीजा डिजिटलाइजेशन प्रोग्राम और 2022 में भारत के साथ तय 'माइग्रेशन एंड मोबिलिटी एग्रीमेंट' जर्मनी के श्रम बाजार को भारतीय प्रतिभाओं के लिए और भी सुगम बना रहा है. विदेश मंत्री ने बताया कि इस समझौते के बाद भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स की संख्या में 25% की बढ़ोत्तरी हुई है.

गोएथे इंस्टीट्यूट में भारतीय छात्रों के सवालों का जवाब देती अनालेना बेयरबॉक
नई दिल्ली में जर्मन भाषा के छात्रों के साथ जर्मनी विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक तस्वीर: Sonam Mishra/DW

हुबैरटुस हाइल ने काम करने की जगह के रूप में जर्मनी के फायदे के बारे में कहा कि जर्मनी अपने यहां आकर काम करने वालों को नौकरी के अलावा अच्छी स्वास्थ्य सुविधा, मुफ्त शिक्षा और दुनिया के कई हिस्सों के मुकाबले बेहतर सुरक्षा का माहौल देता है. हाइल ने कहा, "हम आपको एक चीज की गारंटी देते हैं, आपको जर्मनी में ईमानदारी और सम्मान के साथ देखा जाएगा. हम जानते हैं कि आप केवल कामगार नहीं, बल्कि इंसान हैं. अगर आप जर्मनी में लंबे समय तक या हमेशा के लिए रहना चाहते हैं, तो हम आपको अपने समाज का हिस्सा बनने और यहां की नागरिकता पाने का मौका भी देंगे.”

छात्रों की आशंकाओं का समाधान

इस मुलाकात में जर्मन भाषा पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की जर्मनी के बारे में आशंकाओं को दूर करने की भी कोशिश भी की गई. सुरक्षा के माहौल और सामाजिक समता के अलावा परिवार को साथ ले जाने जैसे कई सवालों पर भी चर्चा हुई. अक्सर जर्मनी में काम करने वाले लोगों को अपने माता-पिता या रिश्तेदारों को जर्मनी बुलाने में मुश्किल होती है. वीजा के नियम सख्त हैं और उसकी प्रक्रिया और भी मुश्किल. पेशे से डेंटिस्ट अतिभा मखीजा ने जर्मन मंत्रियों को बताया कि उन्हें जर्मनी में अपनी डिग्री की प्रामाणिकता का सर्टिफिकेट लेकर वीजा पाने में लगभग दो साल लग गए. उन्होंने कहा, "यह पूरी प्रकिया निराश करने वाली हो सकती है." उन्होंने वीजा प्रक्रिया को और तेज करने की आवश्यकता पर जोर दिया.” हाइल ने दिलासा दिया कि उनकी सरकार इस प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रही है.

बहुत से भारतीय छात्र इस बीच नौकरी करने के बदले ट्रेनिंग लेकर स्वाबलंबी होना चाहते हैं. हिमानी शर्मा जर्मन बेकरी में इंटर्नशिप कर रही है और अपनी खुद की जर्मन बेकरी खोलना चाहती हैं. एक अन्य छात्र सुशांत ने बताया कि वह प्रशिक्षण के लिए जर्मनी जाना चाहते हैं लेकिन उनकी पत्नी और एक बेटी भी है. वह उन्हें छोड़कर जाने में असहज महसूस करते हैं.

गोएथे इंस्टीट्यूट नई दिल्ली की एक बैठक में हिमानी शर्मा (25 अक्टूबर 2024)
हिमानी शर्मा जर्मन बेकरी में ट्रेनिंग लेकर अपनी बेकरी खोलना चाहती हैं.तस्वीर: Sonam Mishra/DW

रोजगार मंत्री हाइल ने जवाब में कहा, "हमारी सरकार ने कानून में बदलाव किए हैं ताकि कुशल कामगारों को उनके परिवार के साथ हमारे देश में आने में आसानी हो सके. यदि आप अपनी आय से अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं, तो आपका परिवार आपके साथ जर्मनी में रह सकता है." हाइल ने कहा कि जर्मनी परिवारों को एक सम्मानजनक जिंदगी जीने और हर बच्चे के लिए शिक्षा और देखभाल की गारंटी देता है. जर्मनी में सभी बच्चों को एक समान अवसर प्राप्त होते हैं.

कितना जरूरी है जर्मन सीखना?

डीडब्ल्यू के सवाल का जवाब देते हुए हुबैरटुस हाइल ने कहा, "हम इसे आसान बनाना चाहते हैं. हम जानते हैं कि हमारे यहां सिर्फ कामगार नहीं बल्कि इंसान आ रहे हैं. जो लोग लंबे समय तक जर्मनी में रहना चाहते है, उन्हें हम समाज और लोकतंत्र का हिस्सा बनने का अवसर देना चाहते हैं." इस मकसद से जर्मनी ने अपने नागरिकता कानून में बदलाव किया है. विदेशियों को जर्मन नागरिकता लेकर जर्मन समाज का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और जर्मन भाषा सीखना इसमें मददगार है.

भारत और जर्मनी में सहयोग के 27 समझौते

रोजगार मंत्री ने कहा कि हालांकि जर्मनी में सब तरह के लोगों के लिए कुछ न कुछ है लेकिन छोटे उद्यमों के लिए विदेशों से हायरिंग करना थोड़ा मुश्किल है. इसलिए जर्मन सीखकर और वहां जाकर रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं. जर्मनी इस बीच रोजगार तलाश करने के लिए भी वीजा दे रहा है. जर्मन और भारत सरकार की निकट साझेदारी से युवा लोगों के लिए कई नए मौके सामने आ रहे हैं. हाइल ने बार बार "मेक इट इन जर्मनी" पर जोर दिया और कहा, "आज का हमारा संदेश है "मेक-इट-इन-जर्मनी." यह संदेश उन लोगों के लिए है जो हमारे देश में काम करते हैं और बसना चाहते हैं.”