जर्मन चांसलर की तुर्की यात्रा
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की एक दिन की तुर्की यात्रा के अजेंडा में शरणार्थी संकट शीर्ष पर था. देखें क्या हुआ शरणार्थियों की बढ़ती तादाद से निपटने में तुर्की की मदद और लंबे समय से अटका तुर्की की ईयू सदस्यता के दावे का.
मैर्केल की शरणार्थियों के लिए जर्मनी के द्वार खोल देने और तुर्की को ईयू सदस्यता दिलाने में मदद की बात पर उनकी पार्टी सीएसयू के कुछ वरिष्ठ नेता उनसे नाराज हैं. उनका कहना है कि तुर्की को ईयू सदस्यता उनके अजेंडा में नहीं है.
यूरोपीय आयोग तुर्की को एक अरब यूरो की सहायता राशि देने वाला है जिससे तुर्की शरणार्थियों को नौकरी दिलवाने और उनके बच्चों को शिक्षा देने पर खर्च करेगा. इस मदद का मुख्य कारण शरणार्थियों को तुर्की के ही कैंपों में रहने के लिए प्रोत्साहित करना और यूरोप में आने से रोकना है.
मैर्केल ने तुर्की राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एरदोवान और अहमेत दावुतोग्लू से मुलाकात की. इसके एक दिन बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश कोई "यातना शिविर नहीं" है और वे ईयू को खुश रखने के लिए प्रवासियों को स्थायी रूप से नहीं रखेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बात उन्होंने मैर्केल से भी कही थी कि वे पैसे लेकर शरणार्थियों को तुर्की में ही नहीं रोकने वाले.
इस समय यूरोप के सामने शरणार्थी संकट काफी बड़े स्तर की समस्या बन चुका है जिसे सुलझाने के लिए मैर्केल हर संभव रास्ता तलाश रही हैं. वहीं जर्मनी के ही कुछ कंजर्वेटिव नेता यूरोपीय सीमाओं को और सुरक्षित बनाने और वहां बाड़ खड़ी करने के प्रस्ताव पर समर्थन जुटाने में लगे हैं.
तुर्की में 20 लाख से भी अधिक सीरियाई शरणार्थियों ने शरण ली हुई है. तुर्की प्रधानमंत्री अहमेत दावुतोग्लू और चांसलर मैर्केल की मुलाकात के बाद दोनों पक्षों ने किसी अंतिम समझौते की घोषणा नहीं की लेकिन मैर्केल ने तुर्की के लिए आर्थिक और मौद्रिक मामलों पर वार्ता शुरु करने की बात कही है.