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१७ जनवरी २०१५पेरिस में मारे क्वार्टर सिनेगॉग (यहूदी धर्म का उपासना स्थल) के पास कई यहूदी परिवार रहते हैं. सोमवार को वहां काफी भीड़ थी. फ्रांस के गृह मंत्री बेर्ना कैजनॉएव यहूदी सुपरमार्केट और शार्ली एब्दॉ हमले के बाद यहूदी समाज को सुरक्षा का भरोसा दिलाने पहुंचे थे. मुलाकात के बाद गृह मंत्री ने फ्रांसीसी कैबिनेट मीटिंग में एलान किया कि 4,700 सैनिक और पुलिस अधिकारी फ्रांस के 717 सिनेगॉगों की रक्षा करेंगे.
लेकिन यहूदी समाज इस दावे पर भरोसा करने में हिचकिचा रहा है. 2012 में दक्षिणी फ्रांस के शहर टुलूस में एक यहूदी स्कूल पर हमला हुआ. फ्रांस के इस्लामी कट्टरपंथियों ने चार लोगों की हत्या कर दी. तब से ही डेविड बोकोब्जा जैसे युवा अपनी यहूदी टोपी को हैट के भीतर छिपा कर पहनते हैं.
बढ़ती नफरत
यूरोपियन यहूदी कांग्रेस के मुताबिक बीते कुछ सालों से फ्रांस में यहूदियों के प्रति नफरत भरी हिंसा बढ़ी है. सन 2000 से अब तक इस हिंसा में सात गुना वृद्धि देखी गई है. पेरिस हमला इसकी ताजा कड़ी है. बोकोब्जा कहते हैं, "हम यहूदी जानते है कि हम खास निशाना है. अगर कोई अकेला व्यक्ति या अकेला भेड़िया, हमले की योजना बनाए तो उसे सरकार भी नहीं टाल सकती है. वह हमें नहीं बचा सकती."
फ्रांस में यहूदियों के उच्चतम प्रतिनिधि रोजर कुकिरमान भी ऐसी ही राय रखते हैं. रिप्रेंजेटिव काउंसिल ऑफ फ्रेंच ज्यूइश इंस्टीट्यूशन्स के प्रमुख कुकिरमान के मुताबिक, "हम युद्ध जैसे हालत में हैं." यहूदी संगठन फ्रांस सरकार से बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और यहूदी विरोधी भावना से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की अपेक्षा कर रहे हैं. कुकिरमान कहते हैं कि दिसंबर 2014 में एक यहूदी जोड़े पर तीन युवकों ने हमला किया, "पूरे देश के स्कूलों में यहूदी शब्द बेइज्जती का पर्याय बन गया है. यह बुरी बात है."
मुस्लिम युवाओं में कट्टरपंथ
कुकिरमान के मुताबिक फ्रांस में रहने वाले 50 लाख मुसलमान शांतिपूर्वक रहने वाले लोग थे. लेकिन धीरे धीरे कट्टरपंथियों की संख्या बढ़ती गई. फ्रांसीसी समाजशास्त्रियों के मुताबिक मुस्लिम युवाओं में अब एक उग्र इस्लाम की विचारधारा पनप रही है. यही वजह है कि सबसे ज्यादा उग्र विचारधारा वाले युवा यूरोप से सीरिया जा रहे हैं और वहां इस्लामिक स्टेट नाम के बर्बर आतंकवादी संगठन का हिस्सा बन रहे हैं.
मारे क्वार्टर सिनेगॉग में जाने वाले जोनाथन बिबास फ्रांस सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हैं. वह कहते हैं, "खुफिया एजेंसियों ने अपना काम नहीं किया. अमेरिका और इस्राएल ने आतंकवाद से संबंधित जानकारी दी लेकिन फ्रांस ने उस पर लगातार कदम नहीं उठाए. यहूदी समाज को सुरक्षा का अहसास दिलाने के लिए सरकार को ज्यादा काम करना होगा."
बेघर होने का डर
फ्रांस में इस वक्त पांच लाख यहूदी रहते हैं. 2014 में 7,000 यहूदी फ्रांस छोड़कर इस्राएल चले गए. इस्राएल को लगता है कि इस साल फ्रांस से 10,000 लोग आएंगे. ऐसा नहीं है कि सभी लोग यहूदी विरोधी भावना के चलते फ्रांस छोड़ रहे हैं. कुछ यहूदी आर्थिक कारणों से भी फ्रांस में नहीं रहना चाहते. इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू फ्रांस छोड़ने की तैयारी कर रहे यहूदियों को इस्राएल में बसने का न्योता भी दे रहे हैं. पेरिस के ग्रेट सिनेगॉग में नेतान्याहू ने कहा, "जो यहूदी इस्राएल आना चाहते हैं, उनका खुले हाथों और गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा, वे एक विदेशी धरती पर नहीं आएंगे."
इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने यहूदी विरोधी भावनाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने का एलान किया है. यहूदी समाज को लगता है कि शायद फ्रांस डगमग होते भरोसे को फिर से मजबूत करेगा. डेविड बोकोब्जा जैसे युवाओं को ओलांद से शब्दों में उम्मीद दिखती है. लेकिन इसके बावजूद खुद को फ्रांसीसी कहने वाले डेविड एक अंतर्द्वंद्व का सामना तो कर ही रहे हैं, "मैं पेरिस से, अपने देश और इन गलियों से प्यार करता हूं. ये मेरी जिंदगी है कि लेकिन मेरे दिमाग में कहीं न कहीं ये आशंका भी है कि शायद एक दिन मुझे ये सब छो़ड़ना पड़ सकता है."
बारबरा वेसेल/ओएसजे