जननांगों की विकृति की परंपरा
आधिकारिक रूप से लगी रोक के बावजूद कई अफ्रीकी देशों में महिलाओं के जननांगों को विकृत किया जाना बंद नहीं हुआ है. घुमक्कड़ जीवन जीने वाले केन्या के पोकोट कबीले में लड़कियों को आज भी ये दर्दनाक रस्म सहनी पड़ती है.
सबके लिए एक ही ब्लेड
केन्या की रिफ्ट घाटी में यह महिला अब तक चार लड़कियों का खतना कर चुकी है, वो भी एक ही रेजर से. पोकोट लोगों की मान्यता है कि खतने किसी लड़की के महिला बनने की प्रक्रिया का प्रतीक है. कई देशों में इस पर पाबंदी लगी होने के बावजूद आज भी कुछ ग्रामीण इलाकों में चलन जारी है.
'समारोह' की तैयारी
खतने की रस्म वाली एक ठंडी सुबह को पोकोट महिलाएं और बच्चे आग के आस-पास इकट्ठे होकर गर्म होते हैं. जिन महिलाओं का खतना ना हो उनकी शादी होना मुश्किल हो जाता है. अगर कोई खतने के लिए मना करे तो उस पर भारी दबाव डाला जाता है और कई बार समुदाय से बाहर भी निकाल दिया जाता है.
विरोध है नामुमकिन
खतने से पहले लड़कियों के कपड़े उतरवाए जाते हैं और उन्हें नहलाया जाता है. सबको पता होता है कि इस रस्म के बाद वे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रहेंगी. जैसे उनकी मांएं पूरे जीवन सिस्ट, संक्रमण और बच्चे को जन्म देने से जुड़ी तकलीफें झेलती रही हैं. खतने की परंपरा 28 अफ्रीकी देशों में जारी है. यूरोप में रह रहे इन इलाकों के आप्रवासियों में भी ये किया जाता है.
डरावना इंतजार
पोकोट समुदाय की लड़कियां रिफ्ट वैली के बारिंगो काउंटी की झोपड़ी में बैठी उस दर्दनाक घड़ी के पल गिनती हैं. केन्या में इसे 2011 में बैन कर दिया गया था. यूनीसेफ बताता है कि देश की 15 से 49 साल के बीच की उम्र वाली करीब 27 फीसदी महिलाओं का खतना हो चुका है. आमतौर पर खतना बेहोशी की दवा दिए बिना ही किया जाता है. साफ औजारों का इस्तेमाल ना होने के कारण महिलाएं जीवन भर कई तरह के संक्रमण झेलती हैं.
सूक्ष्म पर्यवेक्षण
लड़कियों को बिना चीखे चिल्लाए उनके जननांगों को विकृत किए जाने का दर्द सहना होता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस प्रक्रिया के दौरान करीब 10 फीसदी लड़कियां तुरंत दम तोड़ देती हैं, जबकि दूसरी 25 फीसदी इससे पैदा हुई तकलीफों के कारण कुछ समय बाद मारी जाती है. मौत के असली आंकड़े इससे कहीं ज्यादा होने का अनुमान है.
पत्थर पर खून
अलग अलग कबीलों में खतने के तरीकों में अंतर है. पोकोट समुदाय में योनि का मुंह सिल दिया जाता है. डब्ल्यूएचओ ने तीन तरह के तरीकों का उल्लेख किया है. पहले में क्लिटोरिस को निकाल दिया जाता है, दूसरे में लेबिया माइनोरा को भी काट देते हैं और तीसरे तरीके में लेबिया मेजोरा को भी निकाल दिया जाता है और केवल एक छेद छोड़कर बाकी घाव को सिल देते हैं.
सफेद रंग की पुताई
पोकोट परंपरा में लड़की का शरीर सफेद रंग से रंगा जाता है. ये पहले से ही मान के चलते हैं कि इस प्रक्रिया के कारण लड़की की मौत होने की काफी संभावना है. कई देशों में इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. 2014 में केन्या में एक स्पेशल पुलिस टुकड़ी बनाई गई और इन मामलों की रिपोर्ट देने के लिए हॉटलाइन भी बनी है.
जीवन भर का सदमा
इस दर्दनाक प्रक्रिया के बाद सदमे से ग्रस्त लड़की को ले जाकर जानवर की खाल में लपेटा जाता है. पोकोट अब इस लड़की को शादी के लायक मानते हैं. ऐसी लड़की के मां बाप उसकी शादी के लिए ऊंची कीमत मांग सकते हैं. इनका मानना है कि इससे महिला ज्यादा साफ, ज्यादा बच्चे पैदा करने लायक और पति के लिए ज्यादा वफादार हो जाती है.
मां से बेटी को?
कोई लड़की कभी वह दर्दनाक अनुभव नहीं भूल सकती. ये छोटी सी लड़की जो खुद खतने को मजबूर थी क्या अपनी बेटी को बचा पाएगी? कुछ देशों में बहुत छोटे बच्चों का खतना किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई जगहों पर इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है और जब एक छोटा बच्चा रोता है तो वह कम ध्यान खींचता है.