चीन के पांच सिर दर्द
पूरी दुनिया में चीन का रुतबा बढ़ रहा है. वह आर्थिक और सैन्य तौर पर महाशक्ति बनने की तरफ अग्रसर है. लेकिन कई अंदरूनी संकट उसे लगातार परेशान करते रहे हैं.
शिनचियांग
चीन का पश्चिमी प्रांत शिनचियांग अक्सर सुर्खियों में रहता है. चीन पर आरोप लगते हैं कि वह इस इलाके में रहने वाले अल्पसंख्यक उइगुर मुसलमानों पर कई तरह की पाबंदियां लगता है. इन लोगों का कहना है कि चीन उन्हें धार्मिक और राजनीतिक तौर पर प्रताड़ित करता है. हालांकि चीन ऐसे आरोपों से इनकार करता है.
तिब्बत
चीन का कहना है कि इस इलाके पर सदियों से उसकी संप्रभुता रही है. लेकिन इस इलाके में रहने वाले बहुत से लोग निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को अपना नेता मानते हैं. दलाई लामा को उनके अनुयायी जीवित भगवान का दर्जा देते हैं. लेकिन चीन उन्हें एक अलगाववादी मानता है.
सिछुआन
चीन का सिछुआन प्रांत हाल के सालों में कई बार तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के आत्मदाहों को लेकर सुर्खियों में रहा है. चीनी शासन के विरोध में 2011 के बाद से वहां 100 से ज्यादा लोग आत्मदाह कर चुके हैं. ऐसे लोग अधिक धार्मिक आजादी के साथ साथ दलाई लामा की वापसी की भी मांग करते हैं. दलाई लामा अपने लाखों समर्थकों के साथ भारत में शरण लिए हुए हैं.
हांगकांग
लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के कारण हांगकांग अकसर सुर्खियों में रहता है. 1997 तक ब्रिटेन के अधीन रहने वाले हांगकांग में "एक देश एक व्यवस्था" के तहत शासन हो रहा है. लेकिन अक्सर इसके खिलाफ आवाजें उठती रहती हैं. 1997 में ब्रिटेन से हुए समझौते के तहत चीन इस बात पर सहमत हुआ था कि वह 50 साल तक हांगकांग के सामाजिक और आर्थिक ताने बाने में बदलाव नहीं करेगा. हांगकांग की अपनी अलग मुद्रा और अलग झंडा है.
ताइवान
ताइवान 1950 से पूरी तरह एक स्वतंत्र द्वीपीय देश बना हुआ है, लेकिन चीन उसे अपना एक अलग हुआ हिस्सा मानता है और उसके मुताबिक ताइवान को एक दिन चीन का हिस्सा बन जाना है. चीन इसके लिए ताकत का इस्तेमाल करने की बात कहने से भी नहीं हिचकता है. लेकिन अमेरिका ताइवान का अहम दोस्त और रक्षक है.