चीन की नाराज़गी के बीच मैरकेल और दलाई लामा की भेंट
२३ सितम्बर २००७यह पहला मौक़ा है जब किसी जर्मन चांसलर ने दलाई लामा को मुलाक़ात का निमंत्रण दिया है. मुलाक़ात चांसलर कार्यालय में होगी, लेकिन इसे सरकारी भेंट के बदले निजी भेंट करार दिया गया है. इसे धार्मिक नेताओं के साथ चांसलर की आम मुलाक़ातों के अन्तर्गत होनेवाले निजी विचार विनिमय की संज्ञा दी गई है.
संवाद को ठुकराया
चीन हमेशा ही इस तरह की भेंटों पर उखड़ता रहा है. इस बार भी उसने इस भेंट का कड़ा विरोध किया है और आज से म्युनिख में चीनी और जर्मनी के सरकारी प्रतिनिधियों के बीत क़ानून सम्मत राज्य पर होनेवाली गोष्ठी में भाग न लेने का फ़ैसला किया है. इस गोष्ठी में जर्मन क़ानूनमंत्री ब्रिगिटे त्सिप्रीस को भी भाग लेना था.
विभाजक गतिविधियों का आरोप
म्युनिख गोष्ठी में भाग नहीं लेने की वजह चीन ने तकनीकी कारण बताई है और दलाई लामा के साथ होनेवाली मुलाक़ात भी ज़िक्र नहीं किया गया है, लेकिन पिछले दिनों में चीन इस मुलाक़ात को रोकने का प्रयास कर रहा था. हालांकि दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि वे आज़ादी नहीं चाहते हैं, सिर्फ़ स्वायत्तता चाहते हैं, चीन का दलाई लामा विरोधी प्रचार जारी है.
चीन दलाई लामा पर विभाजक गतिविधियों का आरोप लगाता है औरइस बार भी उसने पेइचिंग में जर्मन राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया था. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जियांग यू का कहना है कि दलाई लामा राजनीतिक व्यक्तित्व हैं और धर्म के नाम पर देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
छवि बिगड़ने की चेतावनी
जर्मनी में दलाई लामा को पॉप स्टार जैसा दर्ज़ा प्राप्त है और वे नियमित रूप से जर्मनी आते हैं और यहाँ के प्रमुख राजनीतिज्ञों तथा धार्मिक नेताओं के साथ सम्पर्क में हैं. जबकि चीन में उन्हें अवांछित व्यक्ति माना जाता है. पेइचिंग के एकेडमी ऑफ सोशल साइसेंस के प्रमुख जर्मनवेत्ता लिउ लिक़ून ने तो चांसलर मैरकेल को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि चीन में जर्मनी की छवि को नुकसान पहुँचेगा.
कॉख की भूमिका
चांसलर मैरकेल और दलाई लामा की भेंट को संभव बनाने में सीडीयू के प्रमुख नेता और हेस्से प्रांत के मुख्यमंत्री रोलांड कॉख की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वे दलाई लामा को वर्षों से जानते हैं और नियमित रूप से मिलते रहे हैं. पिछले साल भारत दौरे पर भी वे दलाई लामा से मिलने धर्मशाला गए थे. उनका कहना है कि यह नहीं हो सकता कि तिब्बतियों का हित सिर्फ़ इसलिए दब जाए कि उन्होंने शांति का रास्ता अपनाया है.
साफ़गोई की विदेशनीति
चीनी दबाव के बीच चांसलर मैरकेल ने काफ़ी सोच समझकर दलाई लामा से मिलने का फ़ैसाल लिया है. वे राष्ट्रपति वाइत्सेकर से मिल चुके हैं लेकिन उसके बाद किसी राष्ट्रपति ने भी दलाई लामा से भेंट कर चीन को नाराज करने की नहीं सोची. दलाई लामा से मुलाक़ात अंगेला मैरकेल की स्वतंत्र और खुली विदेशनीति का एक और उदाहरण है. आज चांसलर कार्यालय में मैरकेल और दलाई लामा की एक घंटे की मुलाक़ात के बाद कोई प्रेस कांफ़्रेंस भले ही न हो, लेकिन चीन के साथ संबंधों में एक नए अंदाज़ का द्योतक तो है ही.