क्रिकेट के साइड इफैक्ट्स
भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. लोग इस खेल के इस कदर दीवाने हैं कि इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. इसके चलते ही क्रिकेट के कुछ साइड इफैक्ट्स भी हैं. देखिए क्या हैं ये इन तस्वीरों में.
दूसरे खेलों की अनदेखी
क्रिकेट के चलते भारत में दूसरे खेलों की अनदेखी आम है. ये बात सिर्फ संस्थागत तौर पर क्रिकेट को प्रोत्साहन दिए जाने की ही बात नहीं है, बल्कि चारों तरफ फैली क्रिकेट की खुमारी, पैसा और ग्लैमर के चलते नए खिलाड़ी भी दूसरे खेलों के बजाय सिर्फ क्रिकेट की ओर आकर्षित होते हैं.
काम का हर्जा
क्रिकेट के शौकीन मैच की एक एक गेंद, एक एक शॉट पर नजरें गड़ाए रखना चाहते हैं. और इसके चलते मैच वाले दिन काम धाम ठप्प पड़ जाता है. और जहां ठप्प नहीं पड़ता वहां धीमा हो जाना तो लाजमी है.
सूखे की मार, क्रिकेट का खुमार
पिछले दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में भयंकर सूखे के बीच क्रिकेट के मैदानों की सिंचाई पर सवाल उठाकर इस तरफ ध्यान दिलाया कि बुनियादी जरूरतें ज्यादा अहम हैं. क्रिकेट जैसे महंगे खेलों के दौरान ये बात अकसर भुला दी जाती है.
क्रिकेट का सट्टा बाजार
क्रिकेट के मैदान के बाहर भी क्रिकेट के मैच खेले जाते हैं और इनकी शक्ल होती है अवैध सट्टेबाजी की. एक अनुमान के मुताबिक एक विश्वकप के दौरान केवल भारत में तकरीबन दस हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का सट्टा लगाया जाता है. इस सब में काला धन इस्तेमाल होता है.
समय की बर्बादी
क्रिकेट में वक्त काफी जाया होता है. जहां केवल एक टेस्ट मैच 3 से 5 दिन का समय लेता है. वहीं 50 ओवरों का वनडे भी पूरा एक दिन ले लेता है. हालांकि टी20 के एक नए छोटे फॉर्मेट को भी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में मान्यता मिली है. लेकिन ये भी कई तरह से बहुत वक्त लेता है.
विदड्रॉल सिंड्रोम
क्रिकेट के टूर्नामेंटों में गहरे से मशगूल दर्शक कई बार फाइनल खत्म होते ही इस पशोपेश में पड़ जाते हैं कि अब क्या किया जाए. क्रिकेट के साइड इफैक्ट्स में ये विदड्रॉल सिंड्रोम भी एक पहलू है.
खेल नहीं धंधा
लोकप्रियता बढ़ने से क्रिकेट खेल की जगह एक बाजार में तब्दील होता ज्यादा दिखाई दिया है. इस खेल से बेतहाशा पैसा जुड़ गया है और बाजार भी क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने उत्पाद बेचने के लिए इस्तेमाल करता है.
नए दौर के ग्लेडिएटर्स
क्रिकेट के नए टी20 फॉर्मेट में खिलाड़ियों के लिए लगने वाली बोलियां, पुराने रोमन साम्राज्य के गुलाम ग्लेडिएटर्स की याद दिलाती हैं, जो अपने खरीदारों के मनोरंजन के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ा करते थे.
खिलाड़ियों पर दबाव
क्रिकेट सितारों को उनके प्रशंसक जितना सिर आंखों पर बिठा कर रखते हैं, उन पर हमेशा अपने प्रदर्शन को बेहतरीन बनाए रखने का भारी दबाव रहता है. एक लिहाज से ये बढ़िया है लेकिन एक खिलाड़ी के लिए हमेशा एक सा प्रदर्शन बरकरार रखना संभव नहीं होता.
खेल या उन्माद
कई बार क्रिकेट खेल के बजाय एक उन्माद में बदल जाता है. अपने कूटनीतिक रिश्तों में लंबे समय से खटास के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहा क्रिकेट मैच भी युद्ध के उन्माद जैसा माहौल पैदा कर देता है. ऐसे में खेल, खेल नहीं रह जाता.
बच्चे और क्रिकेट
क्रिकेट की खुमारी नई पीढ़ी में भी कम नहीं है. बच्चे भी क्रिकेट मैच के लिए अपने समय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं. कुछ क्रिकेट खेलने में और कुछ देखने में. इसके अलावा क्रिकेट के लिए क्लास बंक करना भी आम है.