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क्यों होता है अमोनियम नाइट्रेट में धमाका

१० अगस्त २०२०

तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस होते ही उस रसायन का व्यवहार बदल जाता है. उसके बाद तापमान जैसे जैसे बढ़ता है, वह रसायन एक घातक विस्फोटक में बदलता जाता है. अमोनियम नाइट्रेट ऐसा ही है.

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Symbolbild Ammoniumnitrat Dünger
तस्वीर: Imago Images/Z. Tamanna

लेबनान की राजधानी बेरूत के बड़े हिस्से को जमींदोज करने वाला अमोनियम नाइट्रेट असल में एक क्रिस्टल सॉल्ट (लवण) है. अमोनिया और नाइट्रिक एसिड की मदद से इसे बड़े सस्ते तरीके से तैयार किया जाता है. आम तौर पर अमोनियम नाइट्रेट का खाद के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है. इसकी मदद से पौधों को उनके विकास के लिए जरूरी नाइट्रोजन दी जाती है.

दिखने में बारीक चीनी जैसा सफेद अमोनियम नाइट्रेट खास परिस्थितियों में विस्फोटक में बदल जाता है. तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस होते ही इसका आण्विक ढांचा बदल जाता है. आण्विक ढांचे के बदलते ही इसके रासायनिक गुण भी बदल जाते हैं.

अगर बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट को एक जगह पर स्टोर किया जाए और वहां तापमान बहुत ऊंचा हो जाए तो यह रसायन विस्फोटक में बदलने लगता है. तापमान 170 डिग्री सेल्सियस पहुंचते ही अमोनियम नाइट्रेट का विघटन होने लगता है. इससे नाइट्रस ऑक्साइड नाम की गैस निकलने लगती है. नाइट्रस ऑक्साइड को लाफिंग गैस या हंसाने वाली गैस भी कहा जाता है. इस दौरान अगर यह किसी चिंगारी के संपर्क में आ जाए तो धमाका हो जाता है. धमाके के साथ ही अमोनियम नाइट्रेट पानी, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन में विघटित हो जाता है.

Libanon | Gewaltige Explosion in Beirut
बेरूत में भयानक विस्फोटतस्वीर: Getty Images/AFP/STR

घातक हादसे और हमले

बेहद विस्फोटक होने के कारण कई देशों में अमोनियम नाइट्रेट के कारोबार से जुड़े नियम बेहद सख्त हैं. बीते 100 साल में इस रसायन के चलते कई बड़े हादसे हुए हैं. 1921 में जर्मनी के लुडविग्सहाफेन शहर में बीएएसएफ केमिकल प्लांट में भीषण धमाका हुआ. अमोनियम सल्फेट और अमोनियम नाइट्रेट के 400 मीट्रिक टन मिक्सर के चलते इस धमाके ने 559 लोगों की जान ली. 1,977 जख्मी हुए.

धमाके की आवाज 300 किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ी. 2015 में अमोनियम नाइट्रेट धमाके के चलते चीन का पोर्ट शहर तियानजिन भी बर्बाद हो गया. वहां एक गोदाम में 800 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट रखा गया था. धमाका इतना ताकतवर था कि तियानजिन का पूरा सिटी डिस्ट्रिक्ट तबाह हो गया. चीनी प्रशासन ने मृतकों की संख्या 173 बताई. अमेरिका और फ्रांस में भी ऐसे हादसे हो चुके हैं.

किफायती हथियार

आसानी से मिलने और सस्ता होने की वजह से दुनिया भर में उग्रवादी संगठनों ने भी इसका खूब इस्तेमाल किया किया. भारत में भी लंबे समय तक अमोनियम नाइट्रेट को बम बनाने के लिए इस्तेमाल करने के मामले सामने आए. बेरूत कांड के बाद भारत में भी चेन्नै के वेयर हाउस में जमा सैकड़ों टन अमोनियम नाइट्रेट के रखरखाव पर चिंता व्यक्त की गई है. इसे बिना अनुमति के आयात किए जाने के बाद 2015 में जब्त किया गया था, लेकिन तब से वह वेयरहाउस में ही पड़ा था.

बेरूत के बंदरगाह में 4 अगस्त 2020 को हुए भीषण धमाके के बाद अब एक बार फिर अमोनियम नाइट्रेट से जुड़े नियम कायदों पर बहस हो रही है. 2,750 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट के दो धमाकों ने बेरूत में 220 से ज्यादा लोगों की जान ली. लेबनान की राजधानी के ज्यादातर घरों को धमाकों ने इस कदर जर्जर कर दिया है कि तीन लाख से ज्यादा लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है.

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