फ्रांस से रिश्तों की समीक्षा के वादे पर खत्म हुआ प्रदर्शन
१७ नवम्बर २०२०प्रदर्शनकारी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के सदस्य थे. उन्होंने धरना तब खत्म किया जब सरकार ने आश्वासन दिया कि फ्रांस से रिश्तों पर पुनर्विचार पर तीन महीनों में संसद में चर्चा कराई जाएगी. इसे लेकर पार्टी के नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच सोमवार देर रात समझौता हुआ.
धरने का नेतृत्व तेजतर्रार मौलाना खादिम हुसैन रिजवी कर रहे थे. इसकी शुरुआत रविवार रात एक जुलूस से हुई जो सैन्य छावनी वाले इस्लामाबाद के करीबी शहर रावलपिंडी से निकाला गया. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच रावलपिंडी को इस्लामाबाद से जोड़ने वाले फैजाबाद चौराहे पर झड़प भी हुई.
प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और इस क्रम में कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए. हिंसा के खत्म होने के बाद प्रदर्शनकारी धरने पर बैठ गए और मांग करने लगे कि सरकार इस्लामाबाद से फ्रांस के राजदूत को निष्कासित कर दे.
पैगंबर पर बनाए गए इन कार्टूनों को लेकर एशिया और मध्य पूर्वी देशों में काफी विरोध हुआ है और लोगों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की है. माना जा रहा है इसी रोष की वजह से पिछले कुछ सप्ताहों में कई स्थानों पर फ्रांसीसी लोगों और संपत्ति पर हमले भी हुए हैं.
तहरीक-ए-लब्बैक के प्रवक्ता शफीक अमिनी ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली है और फ्रांस से रिश्ते तोड़ने के फैसले को संसद के सामने रखा जाएगा. उन्होंने ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए उनकी पार्टी के सभी सदस्यों को रिहा भी कर दिया जाएगा.
सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया. अपनी मांगो को लेकर धरने और प्रदर्शन आयोजित करने का तहरीक-ए-लब्बैक का पुराना इतिहास है. नवंबर 2017 में पार्टी के समर्थकों ने एक सरकारी फॉर्म से पैगंबर की पवित्रता के उल्लेख को हटाने के खिलाफ 21 दिनों तक धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया था.
सीके/एए (एपी)
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