क्या आसान है कि अमेरिकी चुनाव को हैक करना?
२८ अक्टूबर २०१६दलील ये है कि यदि हैकर डेमोक्रैटिक पार्टी की नेशन कमिटी के सर्वर में सेंध लगा सकते हैं तो फिर वे वोटिंग सिस्टम के साथ भी ऐसा ही कर सकते हैं. आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्टों और अमेरिकी अधिकारियों को भी अब हैकिंग में रूस सरकार का हाथ होने का संदेह है. इससे लोगों की चिंता कम नहीं हुई है. लेकिन निर्वाचन विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव में हैकिंग की चिंता जायज नहीं है और यह चुनाव प्रक्रिया को न जानने की वजह से पैदा हुई है. चुनाव प्रक्रिया विशेषज्ञ डेविड बेकर कहते हैं कि प्राइवेट ईमेल में या सोनी के सर्वर में हैक करना चुनाव सिस्टम में हैक करने से एकदम अलग है. अमेरिकी चुनाव सिस्टम संकेंद्रित और इंटरनेट से जुड़ा नहीं है.
डेविड बेकर के अनुसार अमेरिका में 50 अलग अलग प्रांत और 10,000 चुनाव अधिकार क्षेत्र हैं और आम तौर पर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी शहरों और काउंटी की है. इतना ही नहीं देश के विभिन्न इलाकों में अलग अलग सिस्टम का इस्तेमाल होता है. अमेरिका के 80 प्रतिशत मतदाता इलेक्ट्रॉनिक बैलट पर वोट नहीं देते बल्कि पेपर बैलट का इस्तेमाल करते हैं. बेकर का कहना है कि अमेरिकी चुनाव सिस्टम को हैक करने के लिए साजिश में लाखों लोगों को शामिल करना होगा.
चिंता भरोसे की
केनसॉव स्टेट यूनिवर्सिटी की मैर्ले किंग का कहना है कि वोटर रजिस्ट्रेशन सिस्टम जैसे इंटरनेट से जुड़े सिस्टम को हैक करना ज्यादा मुश्किल नहीं है, और ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन डेमोक्रैटिक पार्टी हैकिंग कांड के बाद उन सिस्टमों की सुरक्षा में सख्ती लाई गई है. लेकिन चिंता बनी हुई है. मैर्ले किंग कहती हैं, "पुराने वोटिंग सिस्टम की कहानी पढ़ने वालों की चुनौती यह समझना है कि वोटिंग सिस्टम की प्रक्रिया समय के साथ नहीं बदलती. हम अभी भी बी52 बमवर्षक उड़ा रहे हैं क्योंकि वह अपना मिशन पूरा कर रहे हैं और ऑपरेशन में किफायती हैं."
बेकर भी मानते हैं कि बहुत से वोटिंग मशीनों की तकनीक आधुनिक नहीं रह गई है और उन्हें बदला जा सकता है. "लेकिन वे सुरक्षित और प्रभावी चुनाव के लिए अभी भी अच्छे हैं." इसलिए दोनों चुनाव विशेषज्ञ चुनाव तकनीक में हैंकिंग से ज्यादा इस बात पर चिंतित हैं कि इस बहस का और डॉनल्ड ट्रंप की चुनावी धांधली की संभावना वाली टिप्पणी का चुनाव सिस्टम में लोगों के भरोसे पर नकारात्मक असर हो सकता है. किंग कहती हैं, "मेरे लिए मुख्य खतरा यह है कि चुनाव प्रक्रिया में भरोसे को नुकसान पहुंचा है."
मैर्ले किंग का कहना है कि यदि लोग मतदान की प्रक्रिया पर संदेह करने लगें को अगला कदम नतीजे की सत्यता पर संदेह होगा. बेकर का कहना है कि जो लोग संदेह व्यक्त कर रहे हैं वे भ्रम पैदा करना चाहते हैं ताकि लोग वोट देने न आएं. बेकर चाहते हैं कि लोग वोट देने जाएं, "अमेरिका के मतदाताओं को जानना चाहिए कि यदि वे 8 नवंबर को वोट देने जाते हैं तो उनके वोट की सही गिनती होगी."