कोई अवैध आप्रवासी देश में नहीं रहेगा: अमित शाह
९ सितम्बर २०१९भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में इस वक्त राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर हंगामा हो रहा है. 30 अगस्त 2019 को जारी एनआरसी सूची से वहां रहने वाले 19 लाख लोगों के नाम गायब हैं. बीजेपी पर आरोप लग रहे हैं कि वह एनआरसी के जरिए बांग्लाभाषी मुसलमानों की निशाना बना रही है. हालांकि सूची में हजारों आदिवासियों और हिंदुओं के नाम भी नहीं हैं.
एनआरसी पर जारी घमासान के बीच भारत के गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को असम पहुंचे. नॉर्थ ईस्ट काउंसिल की मीटिंग में शाह के बयान के संदर्भ में गृह मंत्रालय ने कहा, वह (अमित शाह) "प्रक्रिया के समय पर पूर्ण होने से" संतुष्ट थे. होम मिनिस्ट्री के बयान में यह भी कहा गया, "शाह...ने यह भी जोड़ा कि सरकार एक भी अवैध आप्रवासी को देश में रहने नहीं देगी."
असम में एनआरसी को अपडेट करने का निर्देश 2013 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पूरी तरह एनआरसी के समर्थन में है. सरकार के मुताबिक एनआरसी का लक्ष्य "विदेशी घुसपैठियों" को बाहर करना है. अमित शाह पहले भी यह कह चुके हैं कि भारत को उन घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई जरूर करनी होगी जो "देश को दीमक की तरह खा रहे हैं."
3.3 करोड़ की आबादी वाला असम भारत के गरीब राज्यों में आता है. राज्य पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ 263 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. असम पब्लिक वर्क्स और असम सम्मिलिता महासंघ की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सरकार को राज्य में नागरिकता रजिस्टर अपडेट करने का आदेश दिया.
एनआरसी में उन्हीं लोगों का नाम दर्ज हो सकता है जो ये साबित कर सकें कि वे या उनके पुरखे 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं. रजिस्टर में जिनका नाम शामिल नहीं है, वे 120 दिनों के भीतर विदेशी ट्राइब्यूनलों में अपील कर सकते हैं. अपील नाकाम होने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है.
भारत सरकार का कहना है कि जिन लोगों का नाम एनआरसी में नहीं आएगा, वे राष्ट्रहीन नहीं होंगे. इस बीच ऐसी रिपोर्टें भी हैं कि असम के बाद अब महाराष्ट्र में भी गैरकानूनी ढंग से रह रहे आप्रवासियों के लिए हिरासत केंद्र बनाने की तैयारी हो रही है. भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने नवी मुंबई की प्लानिंग अथॉरिटी को एक खत लिखा है, जिसमें अवैध आप्रवासियों के लिए हिरासत केंद्र बनाने के लिए जमीन की मांग की गई है. राज्य के गृह मंत्रालय ने ऐसी किसी चिट्ठी से इनकार किया है.
भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर राज्य के विशेषाधिकार खत्म कर दिए. तब से यह आशंका भी जताई जा रही है कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों के विशेषाधिकार भी खत्म कर सकती है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371 के कई उप अनुच्छेद पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर लागू होते हैं, जिनका मकसद असम, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर की स्थानीय संस्कृति और जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करना है. असम में शाह ने पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को आश्वासन देते हुए कहा कि उनके विशेषाधिकार से जुड़ा कोई संवैधानिक बदलाव नहीं किया जाएगा, "मैं संसद में यह साफ कर चुका हूं कि ऐसा नहीं होगा और आज मैं असम में फिर से यही कह रहा हूं."
ओएसजे/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)
______________
हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay |
(एनआरसी में शामिल होने के लिए चाहिए ये कागजात)