कमी नहीं होगी दिल की
२३ दिसम्बर २०१३फ्रांस की बायोमेडिकल कंपनी कारमेट का बनाया हुआ कृत्रिम हृदय एक इंसान के शरीर में असली हृदय की जगह लगा दिया गया है जो करीब पांच साल तक उसकी धड़कनें चला सकेगा. पिछले हफ्ते शुरू हुआ ये परीक्षण अगर सफल होता है तो दुनिया भर में प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ दिल का इंतजार कर रहे अनगिनत लोगों को इससे फायदा मिल सकेगा. पेरिस के जॉर्ज पॉम्पिदू अस्पताल में 75 साल के जिस मरीज को ये नकली दिल लगाया गया वह होश में है और अपने रिश्तेदारों से बातचीत भी कर रहा है. डॉक्टर उसके स्वास्थ्य पर हर पल नजर रखे हुए हैं और उनका मानना है कि अभी इस ऑपरेशन से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.
जिन सोलह डॉक्टरों की टीम ने पेरिस में ये ऑपरेशन किया उनमें सर्जन क्रिस्टियान लात्रेमुल भी शामिल थे. उनका कहना है कि मरीज की सेहत में लगातार सुधार हो रहा है. "वो अभी चल फिर नहीं पा रहे हैं लेकिन हमारी कोशिश है कि वो जल्दी ही बैठने और खड़े होने लगें."
दिल का इंतजार होगा आसान
नकली हृदय का इस्तेमाल पिछले कई सालों से दिल की गंभीर बीमारियों में किया जाता रहा है. लेकिन इनका इस्तेमाल अस्थाई तौर पर होता है और कुछ समय बाद इसे निकालना पड़ता है. ऐसे लाखों लोग हैं जो किसी बीमारी से दिल पर हुए असर या फिर दिल के दौरों की वजह से अपनी जान गवां देते हैं क्योंकि उन्हें समय पर अंगदान के लिए कोई दाता नहीं मिल पाता. इस नए कृत्रिम हृदय का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि मरीज को असली हृदय मिलने का इंतजार करने के लिए पांच साल तक का समय मिल पाएगा और इस बीच वो घर वापस जाकर कामकाज भी कर पाएगा.
इस कृत्रिम हृदय में कोमल बायोमैटीरियल और संवेदकों की श्रृंखलाएं लगी हुई हैं जिसकी मदद से ये असली हृदय की तरह सिकुड़ता और फैलता है. असली हृदय से करीब तीन गुना भारी ये 900 ग्राम का नकली हृदय बैटरी की ऊर्जा से चलता है. इसीलिए मरीज को लीथियम बैटरियों का एक बेल्ट सा पहनना होता है. इतने लंबे समय तक चलने वाले कृत्रिम हृदय को लगाए जाने का ये पहला मामला है. कारमेट के सह-संस्थापक फिलिप पाउलेट्टी कहते हैं कि और लोगों को चुना जा रहा है और आने वाले कुछ हफ्तों में और लोगों को भी ये हृदय लगाया जाएगा.
2015 में होगा उपलब्ध
ट्रायल के पहले दौर में देखा जाएगा कि एक महीने के बाद कृत्रिम हृदय लगवाने वाले सब मरीज जिंदा रहते हैं या नहीं. दूसरे दौर के ट्रायल में देखा जाएगा कि नकली हृदय के मरीज कितने आराम से जीवन जी पा रहे हैं. कंपनी 2014 के अंत तक ट्रायल पूरा करने और 2015 की शुरूआत तक यूरोप में इसे बाजार में उतारने के लिए जरूरी अनुमति ले लेने की उम्मीद कर रही है.
इस कृत्रिम हृदय की कीमत 140,000 से 180,000 यूरो के बीच बताई जा रही है. इसे बनाया है सर्जन एलेन कारपेंटियर और यूरोप की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी ईड्स ने बनाया है. ईड्स एयरबस भी बनाती है. कारमेट के अनुसार सिर्फ यूरोप और अमेरिका में ही करीब एक लाख लोग प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिलने का इंतजार कर रहे हैं. अमेरिका की एक कंपनी ने आबियोकोर नाम का एक नकली हृदय बनाया था. इसका इस्तेमाल उन लोगों में किया जा सकता है जिनके जीने की उम्मीद 30 दिन से भी कम हो और जिन्हें अंगदान से मिला हुआ हृदय नहीं दिया जाता है.
आरआर/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)