ओलंपिक में पहुंचीं पर पानी तक को तरसीं जैशा
२२ अगस्त २०१६भारतीय धावक जैशा की इस हाल और हार की जिम्मेदारी एथलीटों की मदद के लिए भेजे गए भारतीय स्टाफ अधिकारियों पर भी तो बनती है. जैशा ने रेस के दौरान भारतीय डेस्क पर पानी तक की व्यवस्था ना होने की बात बताई है. जहां बाकी एथलीट्स को हर 2.5 किलोमीटर पर पानी, ग्लूकोज बिस्किट, स्पंज की ताजगी देने के लिए उनके देश का स्टाफ तत्पर था, वहीं जैशा ने जैसे तैसे अपनी सेहत पर खतरा मोल लेते हुए डिहाइड्रेशन की स्थिति में भी रेस पूरी की.
रियो से वापस लौटी जैशा ने भारतीय टीवी न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "उस गर्मी में, वो दूरी तय करना, आपको इतना पानी चाहिए. हर 8 किलोमीटर पर पानी का एक कॉमन पॉइंट होता है, लेकिन आपको हर किलोमीटर पर पानी चाहिए होता है. बाकी एथलीट्स को रास्ते में कुछ काने को भी मिल रहा था. मुझे कुछ नहीं मिला. देश का एक झंडा भी नहीं नजर आया. हम अपने झंडे से बेहद प्यार करते हैं. उसे देख कर ही हमें इतनी ऊर्जा मिल जाती है."
ओलंपिक मैराथन में हिस्सा लेने वाले हर देश को प्रति 2.5 किलोमीटर एक डेस्क मिली होती है. यहां रनर को देने के लिए तरल पदार्थ रखे जाते हैं. भारतीय डेस्क पर कोई स्टाफ या सामान उपलब्ध ना होने के कारण जैशा को हर 8 किलोमीटर पर कॉमन ओलंपिक काउंटरों से ही काम चलाना पड़ा. कुल 157 एथलीट्स में जैशा को 89वां स्थान मिला. फिनिश लाइन पर पहुंच कर डिहाइड्रेशन के कारण बेहोश हो गई जैशा को बहुत देर बाद ओलंपिक कर्मचारियों ने अस्पताल भेजा.
बेंगलूरू में इलाज करा रही जैशा की हालत को देख डॉक्टर हैरान थे. 33 वर्षीया जैशा तो मैराथन में हिस्सा लेने वाली भी नहीं थीं. वह एक मध्यम दूरी की धावक हैं और 1500 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेती हैं. जैशा के साथ असहयोग की जो मिसाल भारतीय दल ने पेश की है उसे लेकर सोशल मीडिया पर कई लोग असंतोष जता रहे हैं. भारतीय एथलीटों के लिए भारत में पर्याप्त संसाधन, सुविधाएं और समर्थन तो नहीं ही मिलता है, ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता में भी ऐसा रवैया दिखा है. ऐसे में एक अरब से अधिक आबादी वाले देश के नाम दो पदक जीत कर लाना भी एथलीट्स की बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जानी चाहिए.
जैशा नेशनल रिकॉर्ड होल्डर हैं. उन्होंने 2006 दोहा और 2014 इंचियॉन में हुए एशियाड खेलों में 5,000 मीटर और 1,500 मीटर में कांस्य पदक जीता था. मैराथन की दौड़ उन्होंने दो घंटे 47 मिनट और 19 सेकंड में पूरी की. केरल में जन्मीं जैशा ने मैराथन गोल्ड जीतने वाली केन्या की जेमाइमा सुमगॉन्ग से 23 मिनट अधिक समय लिया. उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन पिछले बीजिंग विश्व चैंपियनशिप में था, जब जैशा ने 18वां स्थान हासिल किया था.