ओबामा की उलझन, ईयू की सख्ती
१० जनवरी २०१४अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने अधिकारियों के साथ विचार विमर्श कर एनएसए के अधिकारों की समीक्षा के लिए तैयार हैं. इसी महीने उन्हें एनएसए के काम काज पर सफाई देनी है. व्हाइट हाउस द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है, "यह बैठक राष्ट्रपति के लिए यह जानने का अवसर था कि इस मामले में क्या काम किया जा रहा है."
समीक्षा समिति के अध्यक्ष बॉब गुडलेट ने कहा कि राष्ट्रपति को यह समझाना बहुत जरूरी था कि आतंकवाद को रोकने के लिए किन किन तरह के खुफिया सॉफ्टवेयर की जरूरत है, "अगर राष्ट्रपति को लगता है कि हमें टेलीफोन डाटा को जमा करने की जरूरत है तो उन्हें अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अमेरिकी नागरिकों को बताना होगा कि यह देश की सुरक्षा के लिए क्यों अहम है."
ओबामा का कहना है कि स्नोडेन द्वारा किए गए खुलासों ने लोगों का विश्वास तोड़ा है, इसलिए खुफिया एजेंसी के काम में तब्दीली की जरूरत है. इसी हफ्ते वह एनएसए, सीबीआई और एफबीआई के प्रमुखों से मिले और इस पर चर्चा की. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता का कहना है कि ओबामा "अपनी समीक्षा को पूरा करने के करीब" पहुंच गए हैं और वह 17 जनवरी को अपने भाषण में खुफिया गतिविधियों के भविष्य और जासूसी सुधारों के बारे में बताएंगे. माना जा रहा है कि वह कई सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को रोकने का फैसला भी ले सकते हैं.
यूरोपीय संसद की रिपोर्ट
वहीं यूरोपीय संसद ने जासूसी मामलों पर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. 52 पन्नों की इस रिपोर्ट में पिछले छह महीने की जांच को शामिल किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में मीडिया और स्नोडेन जैसे व्हिसलब्लोअर ने कई बातों का खुलासा किया है. जांच के दौरान इन्हें और अन्य सबूतों को एक साथ देखा गया. इस से यह नतीजा निकला है कि अमेरिका और कई अन्य देशों की खुफिया एजेंसियों ने नागरिकों का बहुत सारा डाटा जमा किया है. इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि इस काम के लिए उन्होंने बेहद पेचीदा तकनीक का सहारा लिया है. रिपोर्ट बताती है कि खुफिया एजेंसियों ने ना केवल दुनिया भर के लोगों का डाटा जमा किया, बल्कि बहुत ही बड़े स्तर पर उसका आकलन भी किया. और ये सब उन्होंने इतनी चालाकी से किया कि उन पर कोई संदेह भी ना कर सके.
अमेरिका के साथ साथ रिपोर्ट में ब्रिटेन पर भी कड़ा रुख अपनाया गया है और कहा गया है कि एनएसए की ही तरह ब्रिटेन की जीसीएचक्यू ने भी जासूसी की. साथ ही फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन समेत अन्य देशों पर भी जासूसी के आरोप हैं. जबकि यह भी कहा गया है कि उनके पास जासूसी के लिए इतनी जटिल प्रणाली नहीं है.
स्नोडेन की गवाही की मांग
इस रिपोर्ट को बनाने के लिए कई तकनीकी विशेषज्ञों, कानूनी मामलों के विशेषज्ञों, अमेरिकी राजनेताओं, खुफिया एजेंसी के अधिकारिओं और माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी कंपनियों के प्रवक्ताओं से बात की गयी. अमेरिकी सरकार यह बात कहती आई है कि जासूसी का मकसद आतंकवाद से निपटना रहा है. लेकिन रिपोर्ट में इस बात पर सहमति नहीं दिखाई गयी है और कहा गया है कि इसके पीछे "सत्ता से जुड़े हुए इरादे हैं" और "राजनीतिक और आर्थिक जासूसी" के मकसद भी. रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले क्लोड मोरेज ने कहा, "निजता कोई विलास का अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाज की नींव है."
कमिटी ने स्नोडेन की गवाही की भी मांग की है लेकिन अब तक इस पर कोई साफ संकेत नहीं मिले हैं कि क्या वह ऐसा करने के लिए तैयार होंगे. कमिटी का कहना है कि स्नोडेन को बयान देने के लिए खुद प्रस्तुत होना होगा और केवल रिकॉर्ड किए हुए बयान से काम नहीं चलेगा. यूरोपीय संसद की यह रिपोर्ट पहली ऐसी रिपोर्ट है जिसमें जासूसी मामले पर इतने विस्तार से बात की गयी है और अमेरिका की खुलकर निंदा भी की गयी है. इस से पहले किसी भी ईयू देश ने इस स्तर की जांच नहीं करवाई है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया (एएफपी, रॉयटर्स)
संपादन: महेश झा