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एक साल में 25 फीसदी बढ़ी महिलाओं और बच्चों की तस्करी

१० मार्च २०१७

भारत में साल 2016 के दौरान तकरीबन 20 हजार महिलायें और बच्चे मानव तस्करी का शिकार हुये. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सदन में बताया कि 2016 में तस्करी के 19,223 मामले दर्ज किये गये जो साल 2015 में 15,448 थे.

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तस्वीर: AP

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ये मामले साल 2015 की तुलना में 25 फीसदी बढ़े हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने गुरुवार को संसद में दी जानकारी में कहा कि साल 2016 में महिलाओं और बच्चों की तस्करी के 19,223 मामले दर्ज किये गये जो कि साल 2015 में 15,448 थे. सबसे अधिक मामले देश के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में दर्ज किये गए.

आंकड़े अब भी नहीं दिखाते पूरा सच

पुलिस अधिकारियों ने इससे निपटने के लिये अवैध व्यापार से संबंधित अपराधों को लेकर जागरुकता और अधिक पुलिस प्रशिक्षण पर बल दिया. दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस तरह के बढ़ते अपराधों को लेकर कोई भी दावा किया जाना मुश्किल है लेकिन सरकार और सामाजिक संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों के चलते जागरुकता बढ़ी है और पीड़ित महिलायें ऐसे मामले को दर्ज कराने सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि असल मामले तो इससे भी अधिक होंगे क्योंकि अब भी बहुत से इलाकों में ऐसे मामलों और इससे जुड़े कानूनों को लेकर जागरुकता नहीं है और कई जगह तस्करों के डर से लोग सामने नहीं आते.

भारत बना मानव तस्करी का गढ़

दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत मानव तस्करी का एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. देश के ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बाई इलाकों से हर साल हजारों गरीब महिलाओं और बच्चों को अच्छी जिंदगी का झांसा देकर शहरों में लाया जाता है और यहां इनकी खरीद-फरोख्त की जाती है. इनमें से कुछ घरों में छोटे मोटे काम करने लग जाते हैं तो कुछ को उद्योग-धंधों में धकेल दिया जाता है. कई महिलाओं को जबरन देह कारोबार में भी लगा दिया जाता है.

गुलाम और बंधुआ का जीवन जीने को मजबूर

कई बार तो इनसे बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाया जाता है और ऐसे काम का पूरा मेहनताना भी इन्हें नहीं मिलता. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के मुताबिक साल 2016 में महिलाओं और बच्चों की तस्करी के मामले लगभग बराबर ही रहे. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल करीब 9,104 बच्चों की तस्करी की गई जो पिछले साल के मुकाबले 27 फीसदी अधिक है. वहीं तकरीबन 10,119 महिलाओं की तस्करी की गई जो साल 2015 के मुकाबले 22 फीसदी अधिक है.

पश्चिम बंगाल की सीमा बांग्लादेश और नेपाल को छूती है, इन दोनों देशों से भी राज्य में तस्करी की जाती है. बच्चों की तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान तो महिलाओं की तस्करी में महाराष्ट्र का स्थान आता हैं. 

एए/आरपी (रॉयटर्स)